शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

जिनगीक पहेली बड्ड उलझल
जतेक सुलझेबाक चेष्टा करी
ओतेक उलैझ जाइत अछि...
बुइझ नहि पबैत छी
कत' चुक भ जाइत अछि...
कखनो शांत जिनगीक गति
कखनो अनायास
ज्वार भाटा आइब जाइत अछि....
सहज रहबाक चेष्टा
नहि कोनो अपेक्षा
तथापि कखनो क
जिनगी बोझ बुइझ परैया ।।।।।

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