दिल्लीमे मिथिला-मैथिलीक उन्नयन
उन्नयन यानि एहेन काज जाहि सँ उन्नति हो -
निस्सन्देह पैछला सप्ताहान्त १३ सितम्बर दिल्लीक साईंधाम मे आयोजित 'मैथिली महायात्रा शुभारंभोत्सव - २०१४' सँ लगातार दिल्ली मे 'मैथिली-मिथिला' केर उन्नति हेतु एक सऽ बढिकय एक कार्यक्रमक आयोजन कैल गेल अछि। बस एक सप्ताहक भीतर दुइ अति महत्त्वपूर्ण आयोजन सम्पन्न भेल अछि।१५ सितम्बर लोधी रोड सभागार मे मैथिली फिल्म 'हाफ मर्डर' केर स्क्रीनींग शो केर आयोजन कैल गेल। तहिना मिथिला मिरर - मैथिली केर राष्ट्रीय न्युज पोर्टल द्वारा काल्हि वार्षिकोत्सव केर रूप मे 'विशिष्ट सम्मान समारोह - २०१४' केर सफलतापूर्वक आयोजन कैल गेल जाहि मे दर्जनो मैथिली-मिथिला विशिष्ट योगदानकर्ताकेँ सम्मानित कैल गेलनि।
मिथिला प्राचिनकाल सँ विद्यागाराक रूप मे प्रसिद्ध रहल अछि। आइ जखन शिक्षा प्राप्ति लेल मिथिला केन्द्रक विकेन्द्रीकरण होइत उनटे मिथिला पिछडल आ उपेक्षित क्षेत्र मे गानल जाइत अछि तैयो एहि ठामक शिक्षित व्यक्तित्व दुनिया भरि मे अपन प्रतिभा सँ शिक्षाक प्रसार मे पूर्ववत् लागल छथि। ई कहब अतिश्योक्ति नहि होयत जे दुनियाक सबसँ प्रसिद्ध होवार्ड विश्वविद्यालय या कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय सँ लैत हर देश केर प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान मे मैथिलक उपस्थिति ओहिना अछि जेना भारतक विभिन्न लब्धप्रतिष्ठित विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थानमे मैथिल शिक्षक केर उपस्थिति विद्यमान अछि। मैथिल कतहु रहैथ, अपन विद्या आ उच्च संस्कार सँ ओहि समाज केँ नहि मात्र पारंपरिक शिक्षा प्रदान करैत छथि, वरन् भाषा-संस्कृति आ संस्काररूपी व्यवहारिक शिक्षा सेहो ओ अपन लोकपावैन व भिन्न-भिन्न आयोजनक मार्फत मानव समुदाय केँ दैत रहैत छथि। विगत किछु सौ वर्ष मे जखन मिथिलादेश टूटैत-टूटैत आब मात्र 'मिथिलाँचल' नामक क्षयशील भूत रूप मे जीबित अछि ताहि विपन्न समय मे फेर टुकधुम-टुकधुम लोकजागृति अपन 'सनातन शक्ति' केँ स्मृति मे आनि पुरखा नैयायिक गौतम, मीमांसक जैमिनी, सांख्य-उद्भेदक कपिल ओ जीवन-आचारसंहिता निर्माता याज्ञवल्क्य सहित नव्य-नैयायिक वाचस्पति एवं बच्चा झा केर त्यागपूर्ण कीर्ति मिथिलाकेँ फेर सँ जियेबाक लेल वचनबद्ध बनि रहल छथि। सलहेश, लोरिक आ दीनाभद्रीक जनसेना फेर सँ फाँर्ह बान्हि रहल छथि। विद्यापति, मंडन, अयाची, चन्दा झा आ सब विभूति बेरा-बेरी अपन-अपन शक्ति ओ सामर्थ्यक संग पुन: मिथिला केँ बचेबाक लेल पृथ्वीलोक मे पदार्पण कय चुकल छथि।
राजकीय शक्ति नहि जानि कोन विद्रोही षड्यन्त्रक कारणे मिथिला-मैथिली केँ एना उपेक्षित केने छथि जेना एकरा जीबित रहला सँ अन्य सबहक नाश भऽ जेतैक या रहस्य अन्जान अछि, शोधक विषय छैक जे आखिर केन्द्र या राज्य केर कोन एहेन मजबूरी छैक जे भारतक अभिन्न हिस्सा मिथिला केँ संविधान द्वारा कोनो सम्मान सही समय पर नहि दैत छैक। मैथिली भाषा सँ पुरान दोसर कोनो साहित्यसंपन्न भाषा नहि, मुदा राजनीति मनसाय केहेन जे स्वतंत्रता प्राप्तिक ५६ वर्षक बाद एकरा संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान देल गेलैक।
मिथिला बज्जि-संघ केर रूप मे पहिल गणतंत्रक अनुपम उदाहरण विश्व केँ देलक आइ ओ भारतीय संघ केर हिस्सा नहि बनि सकल अछि। मैथिली आठम अनुसूची मे स्थान प्राप्त केलक, ओम्हर बिहार राज्य मे मैथिलीक पढाई खत्म करबाक लेल अनिवार्य विषय सँ ऐच्छिक बनायल गेल, फेर शिक्षक केर नियुक्ति नहि करैत मैथिली सँ पूर्णरूपेण विच्छेद कैल गेल आ मैथिली भाषा मे पठन-पाठनकेँ प्रोत्साहन देबाक ठाम पर उनटा हतोत्साहित करबाक विद्वेषपूर्ण वातावरण बनायल गेल। क्षेत्रक आर्थिक उपेक्षाक चर्चा कि करू जतय सँ लोक बिना प्रवास पर गेने अपन पेटो नहि पोसि सकैत अछि। मिथिलाक उर्वरापन बाढि आ सुखार सँ जतेक बर्बाद नहि भेल ताहि सँ बड बेसी बर्बादी एतय राजनीतिक माहौल मे आपसी जातिवादी मनमुटाव सँ लोक खेत मे काज तक केनाय छोडि देलक ताहि सँ बर्बादी बेसी भेल। अछैत उर्वरापन जँ जमीन मे बाँझपन केर प्रवेश देल जाय तऽ लक्ष्मी किऐक नहि रुसती?
प्रवास अत्यधिक दिल्ली मे केन्द्रित बुझाइत अछि। मैथिलक बौद्धिक क्षमता आइये नहि, मुगलकाल मे सेहो ओतबे प्रखर छल तैँ ओहि समयक राजधानीक्षेत्र ब्रज-मथुरा-पुरानी दिल्ली मे सेहो रहल छलाह। बाद मे ब्रिटिशकाल मे कलकत्ता आ आब स्वतंत्र गणतांत्रिक भारत मे राजधानी दिल्ली मे हिनका लोकनिक वर्चस्व केँ नकारल नहि जा सकैत अछि। विधानसभा, लोकसभा, विधान-परिषद्, राज्यसभा, राज्यभवन - सबठाम मैथिल केर पहुँच बनि गेल अछि। तैँ कहब जे एतेक महत्त्वपूर्ण जगह पर पहुँचल लोक मैथिली वा मिथिलाक कल्याण निमित्त तत्पर छथि तऽ सरासर गलत होयत। ओ सब एहि प्रति पूर्ण बेईमान छथि। लेकिन वर्तमान प्रक्रिया यानि 'आम मैथिल जागरण' सँ आब कुम्भकरणी निन्न टूटि रहल छन्हि। निस्सन्देह आब इहो सब दिल्ली मे सेमिनार, गोष्ठी आ विद्वत् सभा कय रहल छथि। बहुत जल्दी ई सब 'जनसभा' मे परिणति पाओत से विश्वास राखू। साहित्यिक संस्कार जखनहि समाज मे अपन ओजरूपी बीज केँ छीटैत छैक, तऽ अंकुरा सीधे क्रान्तिरूपी गाछ केर जन्म दैत छैक। प्रजातंत्र मे प्रजाक महत्त्व सर्वोपरि रहलैक अछि। एहि मादे मैथिल अभियानी लोकनि धन्यवादक पात्र छथि जे भाषा-संस्कृति, सिनेमा, पत्रकारिता सहित समाजक उन्नयन संग मैथिली-मिथिलाक उन्नयन लेल डेग निरन्तर बढा रहल छथि। धन्यवाद दिल्ली!मिथिला बज्जि-संघ केर रूप मे पहिल गणतंत्रक अनुपम उदाहरण विश्व केँ देलक आइ ओ भारतीय संघ केर हिस्सा नहि बनि सकल अछि। मैथिली आठम अनुसूची मे स्थान प्राप्त केलक, ओम्हर बिहार राज्य मे मैथिलीक पढाई खत्म करबाक लेल अनिवार्य विषय सँ ऐच्छिक बनायल गेल, फेर शिक्षक केर नियुक्ति नहि करैत मैथिली सँ पूर्णरूपेण विच्छेद कैल गेल आ मैथिली भाषा मे पठन-पाठनकेँ प्रोत्साहन देबाक ठाम पर उनटा हतोत्साहित करबाक विद्वेषपूर्ण वातावरण बनायल गेल। क्षेत्रक आर्थिक उपेक्षाक चर्चा कि करू जतय सँ लोक बिना प्रवास पर गेने अपन पेटो नहि पोसि सकैत अछि। मिथिलाक उर्वरापन बाढि आ सुखार सँ जतेक बर्बाद नहि भेल ताहि सँ बड बेसी बर्बादी एतय राजनीतिक माहौल मे आपसी जातिवादी मनमुटाव सँ लोक खेत मे काज तक केनाय छोडि देलक ताहि सँ बर्बादी बेसी भेल। अछैत उर्वरापन जँ जमीन मे बाँझपन केर प्रवेश देल जाय तऽ लक्ष्मी किऐक नहि रुसती?
काल्हिये सम्पन्न मिथिला मिरर केर वार्षिकोत्सव मे एक सऽ बढिकय एक व्यक्तित्व केर पहिचान कैल गेल, हुनकर विशिष्ट योगदान हेतु विशिष्ट सम्मान विभिन्न विशिष्ट नेतृत्वकर्ताक हाथें सौंपल गेल, विवरण निम्न अछि।
१. श्री महेंद्र मलंगिया, मैथिलीक विराट नाट्य लेखन कें मैथिली नाट्य लेख क्षेत्र में
२. श्री विजय चंद्र झा दिल्ली मे मिथिला-मैथिलीक लेल समाज सेवा मे
३. श्री ए. एन. झा चिकित्साक क्षेत्र में वर्तमान मे देशक सब सँ पैघ न्युरोसर्जन आ मेदांता मेडिसिटी अस्पतालक विभागाध्यक्ष
४. डा. शेफालिका वर्मा मैथिली साहित्य लेखन
५. श्री संजय कुमार झा भारतीय प्रशासनिक सेवाक क्षेत्र में वर्तमान में चीफ विजिलेंश कमिश्नर वित्त मंत्रालय भारत सरकार
६. श्री आर. डी. वर्मा व्यवसायक क्षेत्र मे चेरयमैन वीएचआर ग्रुप
७. श्री प्रकाश झा मैथिली रंगमंचक निर्देशन मे
८. श्री कौशल कुमार मैथिली फोन्ट्स (मिथिलाक्षर युनिकोड) निर्माणक क्षेत्र मे
९. श्री संजय सिंह फिल्म आ थियेटर, फिल्म गैंग आॅफ वासेपुर में फज़लू भैया आओर फिल्म राॅकस्टार मे रणबीर कपुरक संग आ देशक श्रेष्ठतम रंगमंच सँ जुडल, राष्ट्रीय नाट्य अकादमी सँ पासआउट,
१०. श्री बिमल कांत झा, सहरसा मे मिथिला-मैथिलीक लेल सतत सेवा प्रदान करनिहार एक प्रतिबद्ध व्यक्तित्व वर्तमान दिल्ली सरकार मे रजिस्ट्रारक पद पर कार्यरत,
११. श्री विष्णु पाठक मूल रूप सँ बेगुसराय निवासी आ समाजसेवाक क्षेत्र मे आगु रहनिहार,
१२. श्रीमती अनिता झा मूल सं बलाइन मधुबनीक रहनिहाइर आ खानदानी मिथिला पेंटिंग सँ जुड़ल आ करीब 200 सं बेसी लोक केँ प्रशिक्षण देनिहाइर, हिनकर कीर्ति फ्रांसक तत्कालिन राष्ट्रपति निकोलस सर्कोजी द्वारा प्रशंसित-स्वीकृत, शीला दीक्षित, नीतीश कुमार, दिल्ली मेट्रो द्वारा सेहो प्रशंसित-स्वीकृत, मूल रूप सँ तांत्रिक-पद्धति पर आधारित पेंटिंग मे महारात हासिल,
१३. श्री मेराज सिद्दिकी मैथिली भाषाक लेल अग्रसर मुस्लिम युवा आ अंतरराष्ट्रीय दरिभंगा फिल्म महोत्सवक जनक
१४. श्री किसलय कृष्ण मैथिली फिल्म आ पत्रकारिता
१५. श्रीमती आशा झा टीवी एंकर वर्तमान में प्रतिष्ठित समाचार चैनल न्यूज़ नेशन में कार्यरत
१६. श्री विश्व मोहन झा मीडिया आओर विज्ञापनक क्षेत्र मे
जय मिथिला - जय जय मिथिला!!
हरि: हर:!!
कार्यक्रमक वर्णन आ ओहि सं सम्बन्धित आलेख सारगर्भित अछि .बहुत नीक लागल .मोन में सतोष भेल जे ,यद्यपि हम सब अप्पन देश-भाषा लयकिछु नहि क सकैत छी, तथापि किछु एहन समर्पित मैथिल जन छथि जे तम-मन--धन सं मिथिलाक उनयन में लागल छथि .हुनका लोकनी के धन्यवाद ,,
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