शनिवार, 7 दिसंबर 2013

विवाह पंचमी: शुभकामना संदेश






विवाह पंचमी:

 शुभकामना संदेश

आजुक तिथि अगहन इजोरिया पंचमी,

 त्रेतामे औझके दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामकेर 

विवाह जनकनन्दिनी सीता संग भेल छलन्हि। 

  श्री मैथिली पुत्र प्रदीपजी लिखैत छथि:
मिथिला के धिया सिया जगतजननि भेली,
धरनी बनल सुरधाम हे!
धन्य मिथिक भूमि घर-घर ऋषि-मुनि,
दूलहा जगतपति राम हे!!
गंगा बहथि जतय कोसी रहथि ततय,
कमला-गंडकके बथान हे!
हिमगिरिके घर गौरीके नैहर
शिवजी भेला मेहमान हे!!
एहि तरहें कविश्रेष्ठ नहि मात्र जगज्जननी सियाकेँ अपन गरिमामय रचनामे समेटलनि 

बल्कि समस्त मिथिला-महिमाकेँ सेहो वर्णन कयलनि अछि। 
          स्नेहलता  
राम आ सीताक विवाहपर हजारों गीत रचने छथि। ओ मिथिलाक वैशिष्ट्यकेर वर्णन करैत कहने छथि:
अपना किशोरीजी केर टहल बजेबय - आहो राम - टहल बजेबय
यौ हम मिथिले मे रहबय -२
हमरा न चाही चारू धाम यौ हम मिथिलेमे रहबय!!
साग पात खोंटि-खोंटि दिवस गमेबय -

 आहो राम - दिवस गमेबय
यौ हम मिथिले मे रहबय,
हमरा न चाही सुख आराम -

 यौ हम मिथिले मे रहबय!!
        तहिना रामचरितमानसमे सियाजीक विवाह-प्रसंगकेर वर्णन करैत
गोस्वामीजी लिखैत छथि:-
जेहि सोभा नीच घर सोहा, तेहि देखि सुरनायक मोहा!

          कहब छन्हि जे रामजीक विवाहक अवसरपर देवलोककेर राजा स्वर्गाधिपति इन्द्र जखन मिथिला अबैत छथि तँ गामक बाहर बसनिहार सामान्य सेवक-वर्गक घरक ऐश्वर्य देखि मोहित भऽ जनकक अंगना आ विवाहस्थल बुझि ओतहि प्रवेश करैत छथि..... मुदा विवाहमण्डप नहि देखि अपन सन्देह जे आखिर राजाक अंगना यैह थीक तँ विवाह कतय भऽ रहल अछि पूछलापर ई पबैत छथि जे ओ घर तँ मात्र एक सेवकवर्गक छल। मिथिलाक सम्पन्नताकेँ दिग्दर्शन एक पाँतिमे एना होइछ। 

         आइ ओ मिथिला राज्य एतेक गरीब बनि गेल अछि जे करोडों लोक ओतयसँ पलायन कय गेल अछि। ताहि हेतु एक बेर फेरसँ मिथिलावासी जनककालीन ऐश्वर्यपूर्ण मिथिला राज्यक माँग एहि भारतवर्षमे कय रहल छथि। पुन: गौरवबोधक संग प्राचिन मिथिला प्राप्त हो, ताहि लेल स्वराज्यक माँग कैल जा रहल अछि। भारतीय गणतंत्रमे ई संविधानसम्मत मिथिलाराज्य चाही। विवाहपंचमीकेर शुभ अवसरपर समस्त आस्थावान भारतीयसँ मिथिलाक गरिमाक रक्षा लेल एहि औचित्यपूर्ण माँगकेर समर्थनक आशाक अपेक्षा मिथिलावासी करैत अछि।

- प्रो. उदय शंकर मिश्र 


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http://maithilaurmithila.blogspot.in/2010/03/mp3.html

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