बुधवार, 3 अप्रैल 2013

मिथिला चालीसा

              मिथिला चालीसा

             दोहा

अति आबस्यक जानी के शुनियो मिथिला के वास
बेद पुराण सब बिधि मिलल लिखल भोला लाल दास

पंडित   मुर्ख    अज्ञानी    से मिथिला   के ई   राज 
पाहुनं    बन    आएला    प्रभु   जिनकर चर्चा  आजू 
           चोपाई
जय - जय  मैथिल  सब  गुन  से   आगर | 
कर्म  बिधान  सब  गुन  छैन  आगर सागर | 



जनक  नन्दनी  गाम  कहाबैन  
दूर - दूर  से  कई  जन  आबैन  


देखीं   क   सीता  राम   के   स्वम्बर 
भेला  प्रसन्य  लगलैन  अतिसब  सुन्दर 



पुलकित  झा  पंचांग   से  सिखलो । 
बिघन - बाधा से अति शिग्रः निपट्लो । । 



 मंत्र  उचार  केलो  सब  दिन  भोरे । 
ग्रह  - गोचर  से  भेलोहूँ  छुट्कोरे । । 



विद्यापति  जी  के  मान  बढ़ेलइ न । 
बनी  उगाना  महादेव  जी  ऐलन । । 

    
                                                                                         
जय  - जय  भैरवी  गीत  सुनाबी  । 
सब  संकट  अपन  दूर   पराबी । । 



लक्ष्मीस्वर  सिंह  राजा  बन  ऐला । 
पुनह मिथिला क स्वर्ग बनेला । । 



भूखे   गरीब  रहल  स ब चंगा  । 
सब  के  ले ल ऐला  राज  दरिभंगा । । 



बन   योगी  शंकरा चार्य  कहोलैथ । 
अनेको  शिव  मंठ  निर्माण  करोलैथ । । 



धर्म  चराचर  रहल  सत  धीरा । 
जय - जय करैत आयल संत फकीरा । । 



जन्म  लेलैन  लक्ष्मीनाथ  सहरसा । 
जिनकर दया से भेल अति सुख वर्षा । । 



साधू  संत  के  भेष  अपनोलैन  । 
फेर  गोस्वामी  लक्ष्मीनाथ  कहोलैन। । 



मंडन  मिश्रऱ  क  शास्त्राथ  कहानी । 
जिनकर  घर सुगा  बजल  अमृत  बाणी । । 



पत्त्नी   धर्म  निभेलैन  विदुषी । 
जिनकर  महिमा  गेलेंन  तुलशी  । । 



आयाची  मिसर  क  गरीबी  कहानी । 
जिनकर  महिमा  सब  करैया  बखानी । । 



साग  खाई  पेटक  केलनी  पालन । 
हिनकर घर जन्मल सरोस्वती के लालन । । 



काली  मुर्ख निज   बात  जब  जानी । 

भेला  प्रसन्य  उचैट   भवानी । । 


ज्ञान   प्राप्त  काली  दाश  कहोलैथ । 
फेर  मिथिला  शिक्षा  दानी  बनलैथ  । । 



गन्नू  झा  के  कृत्य  जब  जानी । 
हँसैत  रहैत  छैथ  सब  नर  प्राणी । । 



केहन    छलैथ   ई   नर   पुरूषा  । 
कोना  देलखिन  दुर्गा  जी  के  धोखा । । 












खट्टर  काका  के  ईहा  सम्बानी । 

खाऊ  चुरा - दही  होऊ  अंतर  यामी  । । 



मिथिला  के  भोजन  जे  नाही  करता । 
तिनों  लोक  में  जगह  नै  पाउता । । 



सोराठ   सभा  क  महिमा  न्यारी  । 
गेलैन  सब  राजा  और  नर  - नारी । । 



जनलैथ  सब  के  गोत्र  - मूल  बिधान । 
फेर  करैत  सब  अपन  कन्या  दान । । 

 

अमेरिका   लंदन  सब  घर  में  सिप्टिंग । 
देखलो  सब  जगह  मिथिला  के  पेंटिंग । । 



छैट  परमेस्वरी  के  धयान  धराबैथ । 
चोठी   चन्द्र  के  हाथ   उठाबैथ  । । 



जीत वाहन  के  क था  सुनाबैथ । 
फेर  मिथिला  पाबैन  नाम  बताबैथ । । 



स्वर  संगीत  में  उदित  नारायण । 
मिथिला  के  ई  बिदिती  परायण । । 



होयत   जगत  में  हिनकर  चर्चा  । 
मनोरंजन  के  ई   सुख   सरिता । । 



शिक्षा  के  जखन  बात  चलैया  । 
मिथिला  युनिभर्सिटी  नाम  कहाया । । 



कम्पूटिरिंग   या   टैपिंग   रिपोटर । 
बजैत लिखैत  मिथिला  शुद्ध  अक्षर । । 



है   मैथिल  मिथिला  के  कृप्पा  निधान । 
रखियो  सब  कियो  संस्कृति  के  मान । । 



जे  सब  दिन  पाठ  करत  तन- मन  संन  । 
भगवती  जानकी  रक्षा करतेन तन धन सं । । 




हे  मिथिला  के  पूर्वज  स्वर्ग  निवासी । 
लाज  बचायब  सब  अही  के  आशी । । 
                दोहा
कमला  कोषी  पैर  परे  गंगा  करैया  जयकार

शत्रु  सन  रखवाला  करे  सदा  हिमालय  पाहार 

( माँ मैथिल की जय , मिथिला समाज की जय -----------)
      
                                (   समाप्प्त )
लेखक :- 


मदन कुमार ठाकुर
पट्टीटोल , कोठिया , (भैरव स्थान)
झंझारपुर , मधुबनी , बिहार -८४७४०४

mo - 9312460150

जगदम्बा ठाकुर
पट्टीटोल , कोठिया , (भैरव स्थान)
झंझारपुर , मधुबनी , बिहार -८४७४०४

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