बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

कीर्ति स जीवते

 Pravin Narayan Choudhary


      कीर्ति जे सर्वहितकारी हो वैह प्रतिष्ठा पबैत छैक आ कीर्तिकार सदा-सदाके लेल अमर बनैत छैक। ईर्ष्यालू स्वभावके लोक ओहि कीर्तिकार सँ द्वेषभाव रखैत छैक, लेकिन आजुक फालतु राजनीतिके चलते ओहेन लोक के कीर्ति कम बल्कि जाइत बेसी देखल जाइत छैक। दुष्परिणाम - विपन्नता! उदासीनता! रचनाविहिनता! विनाशोन्मुख समाज! कहू कि फायदा? 

तदापि जन्मैत रहैत छैक गुदडी सँ लाल आ उपजैत रहैत छैक हीरा-मोती-जवाहरात! मिथिलाके भेटैत रहल छैक सुन्दर-सुन्दर रचनाक साहित्यिक सुधा सौगात। आउ देखी जे कतेक लोक कि-कि कयलन्हि।

१. रामेश्वर चरित मिथिला रामायण (१९१४/१९५४): लालदास (१८५६-१९२१)

२. अम्बचरित (१९५६): सिताराम झा (१८९१-१९७५)

३. रावण वद्ध (१९५५): जिवनाथ झा (१९१०-१९७७)

४. सितायणा (१९७४): वैद्यनाथ मल्लिक 'विधु' (१९१२-१९८७)

५. राम सुयश सागर: विश्वनाथ झा 'विषपयी' (प्रकाशन वर्ष आ कविक परिचय उल्लेख नहि भेटल)

६. श्री हनुमानचरित (१९९७): कालिकान्त झा

७. सुभद्राहरण (१९५९): मुन्शी रघुनन्दन दास (१८६०-१९४५)

८. राधाविरह (१९६९): काशीकान्त मिश्र 'मधुप' (१९०६-१९८७)

९. किचक वद्ध (१९६१): तंत्रनाथ झा (१९०९-१९९४)

१०. कृष्णचरित (१९७६): तंत्रनाथ झा

११. रुक्मिणिहरण (१९८०): बबुआजी झा 'अजन्ता' (१९०४-१९९६)

१२. प्रतिग्यापाण्डव (१९९५): बबुआजी झा 'अजन्ता'

१३. पराशर (१९८८): काञ्चीनाथ झा 'किरण' (१९०६-१९८९)

१४. चाणक्य (१९६५): दिनानाथ पाठक 'बन्धु' (१९२८-१९६२)

१५. गंगा (१९६६): लक्छ्मण झा

१६. अगस्त्यायनी (१९८०): मार्कण्डेय प्रवासी

१७. दत्तावती (१९८७): सुरेन्द्र झा 'सुमन' (१९१०-२००२)

१८. श्री चैतन्य चन्द्रायण (१९७२): रामचन्द्र मिश्र 'मधुकर'

१९. स्मृतिसहस्री (१९७८): बुद्धिधारी सिंह 'रामाकर'

२०. जय राजा सलहेश (१९७८): मतिनाथ मिश्र

२१. त्रिपुण्ड (१९८४): धिरेश्वर झा 'धिरेन्द्र' (१९३४-२००४)

२२. मुक्तिपथ (१९९२): महिनाथ झा

२३. परमशिव (१९९५): महिनाथ झा

२४. अनङ्गकुसुम (१९९९): ब्रजकिशोर वर्मा 'मणिपद्म' (१९१८-१९८६)

(उपरोक्त रचना सभ ग्रंथ रूपमें प्रकाशित अछि।)

२५. कृषक (१९४७): माथुर (१९२९-१९९९)

२६. द्रोहाग्नि (१९६९): लोकपति सिंह

२७. संन्यासी (१९४८): उपेन्द्रनाथ झा 'व्यास' (१९१७-२००२)

२८. पतन (१९६९): उपेन्द्रनाथ झा 'व्यास' 

२९. लखिमा रानी: केदारनाथ लाभ (१९३२)

३०. भारती (१९६४): केदारनाथ लाभ (१९३२)

३१. शरशय्या (१९६२): बुद्धिधारी सिंह 'रामाकर'

३२. समाधि (१९८३): बुद्धिधारी सिंह 'रामाकर'

३३. साबरमती (१९९०): बुद्धिधारी सिंह 'रामाकर'

३४. सावित्री: कुशेश्वर कुमार (१८८१-१९४३)

३५. नमस्य (१९६८): तंत्रनाथ झा (१९०६-१९८४)

३६. मंगलपंचासिका (१९७३): तंत्रनाथ झा

३७. सीता (१९६७): रविन्द्रनाथ ठाकुर

३८. नरगंगा (१९६८): रविन्द्रनाथ ठाकुर

३९. पंचकन्या (१९७७): रविन्द्रनाथ ठाकुर

४०. शान्तिदूत (१९६९): लक्छ्मण झा

४१. उत्सर्ग (१९७५): लक्छ्मण झा

४२. धृतराष्ट्र विलाप (१९७६): रमापति चौधरी

४३. सप्त वर्णमाला (१९८१): रमापति चौधरी

४४. परदेशी (१९७८): काली कुमार दास

४५. सकुन्तला (१९७५): शारदा दत्त झा

४६. सकुन्तला (१९८१): दामोदर लाल दास (१९०४-१९८१)

४७. नोर (१९७९): यगेश्वर झा

४८. कर्ण (१९७९): अच्युतानन्द दत्त

४९. कंस-वद्ध (१९७९): अच्युतानन्द दत्त

५०. जानकी रामायण (१९८०): लाल दास

५१. उत्तरा (१९८०): सुरेन्द्र झा 'सुमन' (१९१०-२००२)

५२. कृष्णावतरण (१९९५): सुरेन्दर झा 'सुमन'

५३. सिताचरितामृत (१९८१): हिरालाल झा 'हेम'

५४. एकलव्य (१९८०): अमरेन्द्र मिश्र

५५. सत्यकेतु (१९७७): अमरेन्द्र मिश्र

हमर नोट: उपरोक्त पुस्तकमें समस्त संकलन के ऊपर संछिप्त परिचयक संग मिथिलाक साहित्यिक इतिहास देल गेल छैक। कुल ३५७ पृष्ठमें वर्णन! मिथिलाक जयकारा लेल एतेक कीर्तिरूपी संपत्ति पहिले जमा कय देल गेल छैक। ई २००२ ई. धरिक मोट संकलनक परिचय बुझा रहल अछि। एक सुन्दर शोध संग प्रस्तुत एहि पुस्तक द्वारा मैथिलकेँ अपन सम्पन्न इतिहास सँ परिचय भेटैत छन्हि आ आगू सेहो एहि सुन्दर सम्पन्नताकेँ बरकरार रखबाक जिम्मेवारी सेहो! :)

Source: A History of Modern Maithili Literature (Post Independence Period) - by Devkant Jha पेज: ६-५५

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