मिथिला सत्य साहित्यक भूमि, छी गीत संगीतक उर्वर भूमि
हे विद्या-बुद्धि सपन्न
मैथिल ! मिथिला-सांस्कृतिक श्रॄंगार करु।
मिथिला ज्ञान विज्ञानक
भूमि,
छी सिद्ध साधकक तपो भूमि
हे गौतम, वशिष्ठ,
कणाद सपूत ! प्रगति-पथ आविष्कार करु।
मिथिला नीति राजनीतिक भूमि, छी स्वच्छ
सुनेतृत्वक भूमि
हे सहॄदय स्वच्छ मानस
मैथिल ! सतत सामाजिक सुधार करु।
मिथिला आत्म अध्यात्मिक
भूमि,
छी अनुपम, मनोहर भूमि
हे गहन अध्ययनरत जनकपुत्र
! निरन्तर आर्थिक सुधार करु।
मिथिला अमिट संस्कारक भूमि, छी
चिन्तित चिता पर भूमि
हे चीर निन्द्रामें सूतल
मैथिल ! जागृत मानसिक विचार करु।
मिथिला अन्न धन-धान्यक
भूमि,
छी महापुरुषक कर्म भूमि
हे मरुभूमिमें लोटल मैथिल
! महत मातॄभूमि पर उपकार करु ।
मिथिला मंडन अयाचीक भूमि, छी
वाचस्पति विद्यापतिक भूमि
हे बिसरल अवचेतन मैथिल !
निज मैथिली चेतना संचार करु ।
------------------------------------- भास्कर झा, दिसंबर 2012
ati sundar
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