शनिवार, 1 सितंबर 2012

फोंफ काटि रहल सरकार (हास्य कविता)

फोंफ काटि रहल सरकार
              (हास्य कविता)
रंग विरंगक डिग्री डिप्लोमा लेने
रोड पर घूमि रहल युवक बेकार
देशक कर्ता-धर्ता चुप्पी लधने छथि
आ फोंफ काटि रहल सरकार।
 
बुनियादी शिक्षाक दरस एक्को मिसिया ने
खाली किताबी ज्ञान देल गेल छैक
आ परीक्षा पास कए डिग्री लेने
घूमि रहल अछि युवक बेरोजगार।
 
ओकरा नहि कोनो लुड़ि-भास
तोतारंटत आ परीक्षा पास
बेबहारिक जिनगी मे फेल भ गेल
कियो भूखले मरै अहाँ के कोन काज।
 
परीक्षा प्रणाली आ पाठ्यक्रम एहेन किएक
अहिं फरिछा के कहू औ सरकार
फुसियाँहिक डिग्री डिप्लोपा कोन काजक
कतेक लोक एखनो अछि बेकार।
 
कुर्सी पर बैसल छी त कोना बुझहब
कि होइत छैक लाचारी आ बेकारी
रोजगारक अवसर बंद केलियै
कतेक बढ़ि गेल अछि बेरोजगारी।
 
अहिंक पैरवी पैगाम सँ
अलूइड़ लोक सभ के नोकरी भेट गेल
मुदा मेहनत क पढ़निहार सभ
पक्षपात नीति दुआरे बेकार भ गेल।
 
दू टा पद दू लाख आवेदन कर्ता
एकटा पद मंत्री कोटा सँ
विज्ञापन पूर्व फिक्स भेल अछि
बिधपुरौआ परीक्षा टा करौताह।
 
मेहनत क ईमानदारी सँ
लिखित परीक्षा पास क लेब
मुदा इंटरव्यू मे अहाँ के
तेरह डिबिया तेल जरतौह।
 
ईमानदारी पर अड़ल रहब कारीगर
त इंटरव्यू मे कैंची चलत
योग्यता रहैतो अहाँ भ जाएब बेकार
मुदा फोंफ काटि रहल सरकार।।                 

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