सोमवार, 20 अगस्त 2012

टीम अन्ना और उनके आन्दोलन का नया स्वरुप....!!


 आजादी के बाद  जब देश में कांग्रेस की   सरकार बनी तब से लेकर आज तक के सफ़र में हमारे देश में  काफी परिवर्तन     हुए।  हमने  विकास की काफी सीढियां चढ़कर  अपने देश को सबसे तेज़ उभरते हुए अर्थव्यवस्था के रूप दुनिया के सामने पेश किया। तब से लेकर आज तक समाज में भी काफी परिवर्तन हुए। सरकार के द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न कल्याणकारी परियोजनाओं और समाज के बदलते स्वरुप के कारण सभी तबकों के लोगो को अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने का  मौका मिला।

  इन बदलते माहौल में लोगो के बीच लोगों के बीच बढती प्रतिस्पर्धा और आर्थिक वर्चस्व की होड़ ने हमारे देश में एक  नयी कुव्यवस्था को जन्म दिया है और वह है "भ्रष्टाचार"। हाल में ही संयुक्त राष्ट संघ के द्वारा किये गए आकलन के अनुसार भारत विश्व के भ्रष्ट देशों के पायदान पर सबसे ऊपर में से है।

                                                          आज  पूरा देश भ्रष्टाचार रूपी महामारी से ग्रस्त है। जैसा की सर्वविदित है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून के आभाव मे आज निचले स्तर से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक भ्रष्टाचार किसी ना किसी रूप मे व्याप्त है। हाल मे ही रिटायर हुए सेना प्रमुख  जनरल  वी. के. सिंह के रहस्योद्घाटन के बाद यह भी  सिद्ध हो गया है कि रक्षा मंत्रालय और भारतीय सेना  भी इससे अछूता नहीं है।

इसी परिपेक्ष्य में पिछले साल अन्ना हजारे और उनके कुछ सहयोगियों ने एक सशक्त जन लोकपाल बिल को लेकर पूरे देश में आन्दोलन शुरू कर दिया। जन समर्थन प्राप्त इस आन्दोलन ने ऐसा तूल पकड़ा कि सरकार ने महज़ आठ दिन में घुटने टेकते हुए टीम अन्ना के अहम मांगो को मानकर एक घोषणापत्र जारी किया और एक सशक्त जनलोकपाल बिल पारित करवाने का भरोसा दिलाया।

इसे कांग्रेस सरकार का दोगलापन कहे या उनकी अकर्मण्यता, अभी तक सरकार अपने वादों पर अमल करने में विफल रही है। विपक्षी राजनीतिक पार्टियाँ के कमजोर इच्छाबल भी इनके लिए सामान रूप से जिम्मेदार है।

मुंबई में पिछले साल हुए अन्ना का अनशन और 25 जुलाई से दिल्ली के जंतर-मंतर में शुरू हुए आन्दोलन इस बात को बरुबी दर्शाता है कि लोगो के उमड़ते भीड़ में काफी कमी आई है और टीम अन्ना की लोकप्रियता पर भी काफी असर हुआ है। इनके पीछे बहुत सारे कारण हो सकते है जिनके बारें में मै अपने विचार आप लोगो के सामने रखना चाहूँगा।

इतिहास गवाह है की विश्व में आज तक हुए सभी जन-आन्दोलन बिना कुशल नेतृत्व और संगठन क्षमता के बिना सफल नहीं हुआ है। टीम अन्ना भी कमोबेश इसी समस्या का शिकार है। अन्ना हजारे उनके सहयोगियों द्वारा लिए सभी महत्वपूर्ण फैसलों में मतभेद तथा इन लोगो द्वारा मीडिया को दिया जाने वाला अलग अलग बयान लोगो को आशंकित करने लगा है। टीम अन्ना के सदस्य बार- बार अरविन्द केजरीवाल पर अपने फैसले थोपे जाने का आरोप लगाते रहे है। इनके अलावा टीम अन्ना के अहम् सहभागियों अरविन्द केजरीवाल, किरण बेदी तथा टीम अन्ना से निष्काषित स्वामी अग्निवेश आदि पर बीच-बीच में काफी आरोप लगते रहे है। फलतः भारतीय जनमानस का टीम अन्ना से विश्वास थोडा कम हुआ है और इनकी लोकप्रियता में कमी आई है।

ये बात शत-प्रतिशत सच है कि टीम अन्ना के द्वारा उठाया गया हरेक मुद्दा पुरे भारतीय जनमानस की समस्या है। लेकिन सवाल यह उठता है कि तथाकथित जन लोकपाल आन्दोलन का स्वरुप कैसा होना चाहिए? लोगो को कैसे जागरूक किया जाना चाहिए तथा उन्हें आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लेने के लिए कैसे प्रेरित किया जाना चाहिए?  इसके लिए यह बहुत जरुरी है कि देश के सभी स्तरों पर संगठन बने जो लोगो को भ्रस्टाचार तथा उनसे संबंधित मुद्दे के बारें में अवगत करायें तथा इन सारी समस्याओं से निपटने के लिए मिलजुल कर प्रयास करें तभी सरकार पर दबाब बन सकेगा।

हाल के ताज़ा घटनाक्रम में 10 दिनों तक अनशन कर रहे टीम अन्ना और उनके सदस्यों की मांगे सरकार के द्वारा अनसुनी कर दिए जाने के बाद एक राजनितिक पार्टी बनाने की बात सामने आ रही है। इस उद्देश्य से टीम अन्ना ने देश की जनता से अपनी राय देने को कहा है। हालाँकि टीम अन्ना अभी तक इस बात को दोहराती रही है कि उनका किसी भी राजनितिक पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है और ना ही कोई राजनितिक पार्टी बनाने का इरादा है। जाहिर है कि भारतीय राजनिति के गलियारे में हलचल काफी बढ़ गयी है और विभिन्न राजनितिक पार्टियों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आई है।

मेरे हिसाब से राष्ट हित के लिए वे सारे कदम स्वागत-योग्य है जिनसे लोगो को भला हो। अतः टीम अन्ना के द्वारा एक राजनितिक पार्टी बनाकर देश की जनता की आवाज की गूंज को संसद तक पहुचाने की मनसा का स्वागत किया जाना चाहिए अगर ऐसा करने में टीम अन्ना आने वाले दिन में सफल होती है। खेर यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

मेरा अपना निजी राय यह है की एक आन्दोलन को सफल बनाने के लिए कुशल नेतृत्व और  बिशाल संगठन की दरकार होती है ताकि सरकार पर अपनी मांग को पूरा करवाने का पूरा दबाव बनाया जाए। लेकिन भ्रस्टाचार तथा एक-दो अत्तिरिक्त मुद्दे के लिए राजनीति के दलदल में  फंसना अतिशयोक्ति होगी। हम सभी जानते है कि हमारे देश में राजनीति करने के लिए धन, पैसा तथा बाहुबल की जरुरत होती है और तरह-तरह के घटिया दाव-पेंच खेले जाते है। अपने देश के संसद तथा विभिन्न राज्यों के विधानसभाओ में चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधियों में से काफी आपराधिक पृष्टभूमि के होते है जो एन बातों का सबूत है कि राजनीति का दलदल कितना पेचीदा और खतरनाक है। दूसरी बात, हमारे देश में वोट जाति, वर्ग, संप्रदाय के नाम पर माँगा जाता है तथा पैसे और दबाव के बल पर डलवाया जाता है। ऐसे में हम सभी भारतीय टीम अन्ना से कैसे अपेक्षा कर सकते है कि ईमानदारी का चोला ओढ़कर वे संसद पर किला फतह करेंगे और पूरी पवित्रता से राजनीति कर पाएंगे? पहले से समाज में पैठ बनाए विभन्न राजनितिक पार्टियों को चुनौती देना काफी कठिन होगा जो राजनीति करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है।

तीसरी बात, केवल कुछ मुद्दों और उनके समाधान से देश नहीं चलता। देश को चलाने के लिए एक पूरा तंत्र चाहिए जिसे एक-दो साल से विकसित नहीं किया जा सकता। इन्हे बनाने में काफी लम्बा समय लग जाता है। अतः फिलहाल एक मजबूत संगठन बनाकर, देश के लोगो को जागरूक कर और देश के हर स्तर पर बिशाल जनसमूह के सहयोग से आन्दोलन की दिशा को गति देना श्रेयस्कर होगा और सरकार पर लगातार दबाब बनाने के प्रयास जारी रखना समुचित होगा।

 कांग्रेस इस बात से भलीभांति अवगत है की टीम अन्ना और बाबा रामदेव अगर अगले लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ प्रचार करेंगे तो उनकी हार सुनिश्चित है। पिछले दिनों संपन्न हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की भारी हार इस बात के प्रमाण है।

मसला जो भी हो भारतीय जनमानस अब भ्रस्टाचार,  काला धन, अशिक्षा, आरक्षण, बेरोजगारी तथा बिभिन्न बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दे से परेशान है और इन सभी समस्याओं से मुक्ति चाहती है। अब गौर करने वाली बात यह होगी कि जन लोकपाल बिल के लिए टीम अन्ना द्वारा शुरू किये गए आन्दोलन का नया स्वरुप क्या होगा और यह सफ़र कहाँ तक चलेगा......!!!!

  " अन्ना  तुम संघर्ष करो, हम सब  तुम्हारे साथ है........।"

                                   
                                         
                                      "भ्रस्टाचारमुक्त भारत, खुशहाल भारत !!!







नोट:- आप सभी से निवेदन है कि अपनी राय जरुर दे। धन्यबाद...!!







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