गुरुवार, 21 जून 2012
बाजार सब किछु तय कर रहल अछि: रवींद्र कुमार दास
दिल्ली एहन शहर अछि जे सभके आपन आंचर मे राखि लैत अछि मुदा मुट्ठी भरि एहन लोक अछि जकर पहचान अहि राजधानी मे बनि सकैत अछि। अहिने एकटा नाम अछि रवींद्र कुमार दास। ओना ओ अप्पन पहचान ते पटना मे रहैत काल बना लेने छल मुदा दिल्ली मे मिथिला चित्रकलाक संग संस्कृति आ साहित्यक दुनिया मे सबसे आगू ठाढ़ रहि बला में एकटा लोक अछि। एखन धरि कतेको रास प्रदर्शनी हुनकर लागल अछि आ प्रशंसित सेहो भेल अछि। हुनका सं युवा कवि आ पत्रकार विनीत उत्पल सं गप-
विनीत उत्पल: अहां पेंटिंगक शुरुआत कोने करने रहि?
रवींद्र कुमार दास: मिथिलांचल में हमर जनम भेल। स्कूल मे पढ़लहि के बाद हम पटना आबि गेलहुं। पापा के बड़ मान-मनव्वल करलहुं तखन जाके पटना आर्ट कॉलेज मे दाखिला लेलहुं। पढ़हि काल मे फोटोग्राफी सेहो करय लागल छलहुं, जकर आमदनी से हम पेंटिंग करैत रहि। शुरू मे ते जलतरंग मे चित्रण करलहुं, जकर विषय प्रेम आ प्रकृति छल। फेर, किछु देवी-देवता के सेहो चित्र बनैलहुं। कृष्ण के एकटा सामान्य मनुखक जना चित्रित करने छलहुं। भैंसक संग एकटा चरवाहा बांसुरी बजा रहल छल। ओकरा देखहि के हमरा यहि लागल जे ई अछि कृष्णक आधुनिक रूप। बिहार मे भेल नरसंहार पर कविता प्रदर्शनी सेहो लगैने छलहुं, पटनाक मौर्यलोकक चौबटिया पर। अहि मे हमरा संग बिहारक चर्चित कलाकार सुबोध गुप्ता, नरेंद्र पाल सिंह जेहन कतेको कलाकार छल।
विनीत उत्पल: अहां आधुनिक कलाकार छी मुदा मिथिला चित्रकला से कोना जुड़ल छी?
रवींद्र कुमार दास: हमर जन्म ते मिथिले मे भेल आ हमर कनिया मिथिला शैलीक चित्र से प्रेरणा लऽ कऽ चित्र बनाबैत अछि। हम हुनका सें जुड़िके कतेको रास राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित चित्रकार सं साक्षात्कार लेलहुं। हुनकर चित्र के जानलहुं ते मिथिला चित्र हमरा नीक लागय लागल। अहि चित्रक रेखा पिकासो के रेखांकन के मुकाबला करैत अछि। हमहूं मिथिला चित्रक मूल विषय प्रेम सं प्रेरणा लेलहुं आ ओकर रेखांकनक सहजता सेहो अप्पन चित्र मे उकरहि के कोशिश करलहुं।
विनीत उत्पल: बिहारक कलाकार के राष्ट्रीय आ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोन स्थिति देखैत छी?
रवींद्र कुमार दास: बिहार टा नहि, मुदा पूरे उत्तर भारत, ओहियो मे हिन्दी प्रदेशक कलाकारक लेल पटना एकटा नब कला केंद्र जना उभरि के आगू आबि रहल अछि। सुबोध गुप्ताक स्टार बनलाह के बाद लोक में बिहारक कलाकार कऽ लऽ कऽ धारणा बदलि रहल अछि। राजेश राम, सांभवी सिंह जेहन कलाकार अछि, जिनकर कला के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेहो बड़ाय भऽ चुकल अछि। ओना अहि गप के कहय मे कोनो संकोच नहि अछि जे आजुक काल मे एखनो कला समीक्षक, कला दीघा आ संपन्न लोक मे हिन्दी क्षेत्र मे कलाकार के उपेक्षा भऽ रहल अछि। बाजार सभ किछु के तय कऽ रहल अछि। हम एखनो धरि ई नहि देखलहु जे मिथिला मे चित्र कीनल जा रहल अछि। मां-बहिनक बनायल कलाकृति के सेहो नीक से कियो राखि नहि रहल अछि। ओहिनो बिहार में आधुनिक कलाक बाजार नहि अछि। सौंदर्य से बेसी विचार के प्रमुखता देल जा रहल अछि।
विनीत उत्पल: अहां अप्पन चित्रक मूल विषय प्रेम क्या राखने छी?
रवींद्र कुमार दास: जखन हम एक्रेलिक रंग के बुद्ध सीरिजक बाद जलरंग मे फेर सं काज शुरू करलहुं ते प्रेम विषय पर केंद्रित भऽ गेलहुं। प्रेमक सभटा प्रतीक के अप्पन चित्र मे जगह देलहुं। दू हंसक जोड़ा, प्यारक मंदिर ताजमहल, प्यार मे डूबल दिल के संगीत मे डुबि जायब, दिमाग मे आबय बला ख्याल, फिल्मी नायक-नायिका, सभक लेल एकटा ठाम छल। ई सभटा प्रेम के दर्शाबैत छल। अप्पन देश में बेसी लोक पहिला ब्याह करैत अछि, तकर बाद प्रेम करैत अछि आ अप्पना के कोनो फिल्मी नायक वा नायिका सं कम नहि बुझैत अछि। कहल जायत अछि जे आशिकी आ मौशिकी दूनूक बीच अनन्य संबंध अछि आ देह व मन पर एकर प्रभाव होयत अछि। ताहि लेल हम प्रेम के कतेक रास तरहे देखाबैक कोशिश करलहुं। हम कतेको रास चित्र में पुरनका प्रेमी आ आधुनिक प्रेमी के सेहो, दूनू के एक संग चित्रित करने छी।
विनीत उत्पल: अहांके चित्रक भाषा की अछि?
रवींद्र कुमार दास: कला तखने समकालीन अछि जखन ओहि मे विषय आ तकनीक दूनू समकालीन हुएय। हम अप्पन चित्र मे आकृति के एक-दोसराक ऊपर सुपर कंपोज करने छी। जलतरंगक मूल चरित्र सहजता आ उन्मुक्तता का सेहो इस्तेमाल करने छी, जाहि मे महीन डडीरक संगे तीन आयामी के सेहो प्रभाव अछि। पारदर्शी रंगक कारण सब एक-दोसरा संग जुड़ैत अछि। पहाड़क लघुचित्र कला, मिथिला चित्रक रेखांकन, फिल्मक पोस्टरक कोलाज हमर चित्र मे लखाह दैत अछि। आन कलाकार जेना प्रयोग करैत अछि ताहिना हमहूं करले छी।
विनीत उत्पल: अहां के कोन कलाकारक काज नीक लागैत अछि?
रवींद्र कुमार दास: इतिहासक गप करब ते सबसे पहिने हम पिकासो के नाम ले। ओकर बाद पॉल गोग्यों हमर पसीन के कलाकार अछि। आजुक कलाकार में यू मिनजुन, डैमियन हस्र्ट, अतुल दोदिया आ मिथु सेनक काज बड़ नीक लागैत अछि। बिहारक कलाकार मे गोदावरी दत्त, अमरेश आ राजेश रामक काज गहीर तरहे प्रभावित करैत अछि।
रवींद्र कुमार दास
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