शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012
कुण्डलिया
निर्मल मोन सँ बाबाजी दए छथि आशीष।
खाता नंबर अहाँ लिखू, जमा कराबू फीस।
जमा कराबू फीस, बिगडल काज बनत,
केनेए जे हरान, से सबटा कष्ट जरत।
कहैए "ओम" धरू बाबाक चरण-कमल,
फीसक लियौ रसीद, भेंटत कृपा-निर्मल।
1 टिप्पणी:
रविकर
20 अप्रैल 2012 को 5:44 pm बजे
बहुत सुन्दर |
बधाई ||
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बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंबधाई ||