शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

चल रइ बौआ गाम पर

चल रइ बौआ गाम पर 


चढलें किये लताम पर 
कहबय चल कक्का के जा क 
बैसल छथिन्ह दालान पर 
चल ....................................
उम्हर एमहर कत तकई छें
लताम छलय ये थुर्री
खूब खेलो घुरमौरी
कानक निचा थापर लगतऊ
नै त चलय ने ठाम पर
चल .........................
केहन बेदर्दी भेलें रउ छौंरा
पतों के तू झट्लें
अखनो धरी नै हटलें
देखही देखही भैय्या एल्खिन
मार्थुन छौंकी टांग पर
चल ...........................
लेखक

आनंद झा

एही रचना के कोनो ता भाग के उपयोग हमरा स बिना पूछने नै करी

एकर सब टा राईट हमरा लग अछि अपन विचार जरुर दी यदि कोनो ग

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