शनिवार, 18 फ़रवरी 2012


मिथिलाक गाम घर : 


हमारा लग रहब : ७


मिथिलाक गाम घर :   प्रणव दीन भरी दूकन्हा पर सूतल रही गेल ।   रातियो क आँगन में पतिया पर परल - परल मालाक चाट आ ओकर बात ओकरा आसांत कयने रहलैक ।  नेंग्रा गुरुजी कतेको बेर बेत्त स देह फूला देने छलैक , लल्बित्थूआ स सौसे देह लहरा देने छलैक , मुदा मालाक चाट आ बातक लहरी ओही स बढ़ी क छलैक ।  कियक मारलक एना हमरा ?  मामिक देह स चिक्कन देह छैक ओकर ?  की बेशी सोंनर अछि मामी स ? आ हमर हाथ कोनो कारी खोर्नाथ अछिं जे दाग लागी जेतैक ?  बरका घरक बेटी अछि त अपना घर  ।   कोनो हम खुसामद करे गेल  छलियैक ? अपने मोछक झक्का आ तेतारिक चटनी लेल जान देत ,  हाथ - पैर जोरत आ काम निकला पर एहन एट्ठी  ?  आब हमहू मजा चखा दबाएँ दूनू बहिन केर । लाख मानों करतीह , नहीं दबाएँ तोरी के , नहीं चाद्धबानी गाछ पर । बज्बो नहीं करबैक दूनू स । दूनू एथ्लाही अछि । जेहने पढबाक में भूस्कोल , तेहने लूरी में । गोबरक चोट अछि ओ दूनू । हमरा कथीक खुसामद ? देखा दबानी आब ?  नेंग्रा गुरूजी क बाले खिल्खिलैत्त छित -- खिल्खिलाईट रहौथ । पर्बाही केकरा छैक ? जे दूनू स बाजे से गीदरक नेरी खाय ।








सट्टे नहीं बज्ल्कैक दूनू बहिन स ५ वर्ष ।   अप्पर प्रिम्मारी हाई स्कूल में आबी गेल , १० मा पास क मत्रिच्क  क तय्यार्री म लागी गेल , मुदा अपन सपाट मों रहलैक प्रणव के ।   माला त तीने वर्षक बाद स्कूल छोरी देलकैक ।  ९ वे में छलैक की बिबाह भ गेलिक । बार एकदम बूधाठ छलैक --४० या ४५ बरखक , माथक आधा केश पाकल । कारी रंग आ एक टा दात उंच  ।  कोनो बरका जाती बाला  छलैक --महादेब झा पाजी ---बाद में ओ बूझाल्कैक ।   जाती लेल ओई दरिद्र आ कुरूप वर के उठा अन्ने छलथिन ।  कतबो कियो मना कयल्कन , नाही मनाल्थिन -- पूरूखाक कतहू रूप देखल गेलिक अछि ।  आ सम्पति हम द देबैक , १००-५० बिघाक कोण गन्ना छैक ?  मुदा कहां बार के आन्लाहू अछि से ने देखू ।   महादेव झा पाज्जी -------




मुदा प्रणव के ओही बार के देखि हसी लागी गेलिक ।  जोर स हसाल ।  ईक्छा भेलैक जे की ओत्बाही जोर स हसैक जतेक जोर स ओकरा देह पर बेत लागला पर माला हसित छलैक ।  मुदा ओकर हसी बीला गेलिक ।  मों पर्लैक जे बेत लागल देह कोना ओही खिल खिल हस्सी स लहरी उठैत छलैक ।  भेलैक जे की आई माला ओहिन छात्पत्ता रहल हेतैक । एहन बार केर देखि ओकर  मोंन आ देह  अहिना छात्पत्ता रहल हेतैक ।  ओकरा मों भेलैक जे आई अपन कसम तोरी दियअ आ माला स पूछैक --- तोरो दर्द होइत छौक ?


मुदा माला हवेलिक भित्तर माला कनिया बनल बैसल छलैक । दर्ब्बज्जा पर बर्यातिक संग दत्त उंच बूधाठ बार बैसल छलैक ।   आ बेहाल आप्स्यात कालू चौधरी छलाह ।   ओकर साहश नहीं भेलैक जे भित्तर जा क कनि माला क देखैक ।  कतेक दीन धरी तक उदास रही गेल परनव ।




मोड़ा बिबाहक किछु दीनका बाद माला केर देखाल्कैक त अवाक रही गेल । बिबाहक बाद स्कूल गेनाई छोरी देने छलैक माला ।   ओई दिन मंदिर लग देखाल्कैक प्रणव त अपना पर तामस भेलैक  । अहि माला लेल उदाश छल ओ ।  ओ त जेना खुशी स आर गूद्गरी भ गेल छलैक ।  रांगल थोर आ मूह , कान आ सौसे देह गहना । जरीदार साड़ी में खुसी स चमकैत आकृति । आखी में बैह दूस्त्ता भरल हस्सी आ ओई हसी म मिल्ली गेल एक टा आमंत्रण । प्रणव के अपन भाबूकता क्रोधक संग संग लाजो भेलैक ।











कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें