सर्वप्रथम सौराठ सभा के लेल एक संक्षिप्त परिचय: आइ सँ लगभग ८०० वर्ष पूर्वहि मिथिलाके प्रसिद्ध राजा हरसिंह देव के समय मिथिलामें हर जाति-धर्म के लेल वैवाहिक पंजियनके वकालत कैल गेल आ वैवाहिक अधिकार लेल एक निश्चित नियम जे धर्मसंगत एवं तर्कसंगत छल जे मातृ-पक्ष के ५ पीढी आ पितृपक्षके ७ पीढी तक विवाह लेल निश्चित जोड़ीके खूनके सम्बन्ध नहि हेबाक चाही आ एहि लेल मिथिलामें वैवाहिक सभाके आयोजन (मेला) - अर्थात् एक एहेन जगह सभके जुटान जाहिमें अपन-अपन जाति-कुल-धर्म अनुरूप अपन विवाह योग्य सन्तान लेल जोड़ी निर्धारण कैल जा सकैक। एहेन लगभग ४२ स्थल के नाम लेल जाइछ जतय सभा लागैत छल। एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बात आरो शुरु कैल गेल छल एहि राजा के शासनकालमें - सभ जातिकेँ एकत्वभाव में बान्हय लेल जातिसँ पूर्वहि ‘मैथिल’ जोड़ल गेल छल। अर्थात् मैथिल ब्राह्मण, मैथिल कायस्थ, मैथिल राजपुत, मैथिल केवट, मैथिल मल्लाह, मैथिल कुम्हार, मैथिल धुनियाँ, मैथिल कुजरा - आदि। सभ जातिके अपन-अपन विशेष सिद्धान्तके प्रतिपादन कैल गेल छलैक - एक विशेष सभा जाहिमें पण्डित, विद्वान्, जातिके मुखिया-मैंजन आदिके विशाल सहभागिता छलैक। ताहि समयके व्यवस्था अनुरूप इ सभ व्यवस्था बनलैक।
एहिमें मैथिल ब्राह्मणमें किछु कड़ा नियम रहलाके कारण सभाके अनिवार्यता आ सन्दर्भ गंभीर छलैक। उपरोक्त ७ पीढी आ ५ पीढीमें खूनके सम्बन्ध शायद ब्राह्मण एवं कायस्थ में मूलतः रहैक, तदोपरान्त ताहि समयमें जनसंख्या जेकर जतेक रहैक, सुविधा जेहेन रहैक, वैवाहिक सम्बन्ध कायम करैक अन्य आवश्यक संभावना जतेक रहैक ताहि अनुरूपे सभ जाति-धर्मके लेल राजा नियम प्रतिपादित करौलन्हि। आइयो धरि शायद एहि अधिकारके सिद्धान्त सिर्फ ब्राह्मण आ कायस्थ निर्वाह कय रहल छथि। हलाँकि कायस्थमें गोत्रके बाधा नहि रहलाके कारण सभाके महत्त्व बहुत गंभीर नहि रहलनि, मुदा सभाके महत्त्व जेना स्वयंमें अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होइत छैक एकरा आत्मसात् करैत विशिष्ट व्यवस्थापन सऽ सभ केओ लाभान्वित भऽ सकैत अछि, एकरा सभ मानैत छथि। रहल गप ब्राह्मणक व्यवस्था कड़ा रहला के कारण - गोत्र अलग, मूल-पाँजि निरीक्षण रहलाके कारण कम से कम ताहि समयमें बिना सभा के तऽ विवाह असंभव छलैक। अतः सभा के कुल ४२ विन्दु समस्त मिथिलांचल में कालान्तर में रहल आ अन्ततः सौराठ सभागाछी जाहिमें बादमें दरभंगा महाराज, सौराठ, कुर्सों ड्योढि, लोहा ड्योढि एवं अनेको मिथिला के ठट्ठ गाम सभ अपन-अपन योगदान दैत एहेन भव्य सभाके व्यवस्थापन कयलाह जेकर पोषण बिहार सरकार तक करय लागल आ एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण विन्दु जतय नहि सिर्फ वैवाहिक जोड़ीके मिलान संभव होइक, खुल्ला अवसर वर-कन्या जोड़ी मिलानके लेल भेटैक बल्कि विभिन्न तरफ सऽ एकत्रित भेल लोक अपन-अपन स्तर सऽ मिथिलाके समग्र विकास लेल सेहो सोच-विचार करैथ। आइ-काल्हि एहेन सभा लगाबय लेल नहियो किछु तऽ करोड़ों रुपया के तऽ खाली विज्ञापन देबय पड़ैत छैक - देखैत होयब जे ओ भले अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरुद्ध आन्दोलन होइक वा रामदेवजीके व्यायाम सभास्थल वा लालूजीके लाठी भाँजयवाला प्रदर्शनी या फेर नितीशजीके जनता दरबार - सभमें विज्ञापन खर्चके महत्त्वपूर्ण भूमिका रहैछ आ तेकर बाद टाका-पाइ दऽ के गाम सऽ भीड़ जुटाबयके इन्तजाम - तखनहि सभा के सफल बुझल जाइछ। मिथिला राजके लेल जखन अनशन कैल जाइछ तऽ मुश्किल सऽ २० लाख के मैथिलके आवादीक्षेत्र दिल्लीमें दिल्लीके जन्तर-मन्तर पर ५० गो लोक पहुँचैत छथि। आब बुझि जाउ जे सभाके जोगाड़ में कतेक बेलना बेलयके आवश्यकता छैक। हालहि विद्यापति स्मृति पर्व समारोह २०६८ विराटनगरमें निष्पादित कयल जे अन्तर्राष्ट्रीय स्तरके एक अति सुहावन कार्यक्रमके रूपमें प्रसिद्धि पौलक ताहिमें लाखों रुपयाके खर्च अयलैक। लेकिन हाय रे सौराठ-सभागाछी - बिना पाइ खर्च के स्वतः प्रतिदिन लाखों लोक एहिठाम जुटैत छलाह। सभाकाल में बिना स्वयंसेवक के महादेवके कृपा सऽ सभ किछु नियंत्रित होइत छलैक। लोक अपन बेटा-बेटीके लेल सम्बन्ध निर्धारित करैथ आ लगले हाथ चंगेरामें चुरा आ कस्तारामें दही आ हलुवाई के दुकान सऽ मिठाई किनैत ललका-धोती आ बिहौती साड़ी किनैत लालटेन जराके पहिले बियाह सम्पन्न होइत छलैक आ तदोपरान्त चतुर्थी में कहाँदैन बरियाती यैह किछु १०-११ गोटे पहुँचैथ आ... साधारण खर्च सऽ बियाह सम्पन्न होइत रहैक। आब... ऊफ!
ऊपर सऽ आब मिथिला खाली भऽ गेल छैक - जेना-जेना शिक्षा पद्धतिमें बदलाव अबैत गेलैक आ रोजगार के अवसर व्यवसायोन्मुख संसारमें शहरमें केन्द्रित होइत गेलैक, गामके विपन्नताके सम्बोधन संग बेईमानी भेलैक, लोक गाम छोड़ि शहर भागय लागल। ताहू में मिथिलाके प्रखर बुद्धिमान स्तरके मस्तिष्क तऽ संसार पर राज करनिहार मानसिकता थीक - भले ओ दोसरके दरबारी बनि के किऐक नहि हेतैक, लेकिन संसार पर राज प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष मैथिल के रहतैक। दिल्लीमें भले कोठीके भंसिया काज कय के किऐक नहि होइक, लेकिन सेवत दिल्ली, गामके खेत में ५०% परती छैक... किदैन मतलब। एहेन समय आब बाहरे लोक घरो बनाबय लागल। घरवालीके चाप छैक। खबरदार बुढिया माय-बाप मैर जेतैक, चलिके श्राद्ध कय देबाक अछि... लेकिन धिया-पुताके भविष्य लेल अहाँ गाम के नाम नहि लेब। नै तऽ अहाँ जाउ... हम आ धिया-पुता नहि जायब। ... बस, जखन घरके मेलकाइन के एहेन मनोदशा छन्हि तखन... आब... कि कहू।
बेटी जवान भऽ गेल... बेटा जवान भऽ गेल! कुटमैती करबाक अछि। कतेक के बेटा तऽ मराठी-गुजराती पुतोहु बियैह लेलकनि, फिल्ममें जेना हिरो-हिरोइन करैत छैक... प्रेम-विवाह। मिथिलाके जट-जटिन के प्रेम किनकहु थोड़ेकबे न होइछ। आब बियाह केलाके बाद बहुतो परिवार बिखैर गेल। लोक के होश खुलय लागल - फेर सौराठ चाही कि? फेर सभागाछी होइतय?
जी! सभागाछीके जरुरत सभके बुझा रहल छन्हि। गाममें लोक के चाही कमौआ जमाय। बेटीके इच्छा शहरमें रहय के छन्हि से! यौ जी! एतेक तादात्म्य स्थापित करय लेल तऽ वास्तवमें सौराठ सभा फेर लगबाक चाही। पर्यटन के अवसर सेहो बनतैक। कारण आब गौंआ कुटुम्ब थोड़बा औता... आब तऽ औता रिजर्वेशन टिकट सहित शहरी मैथिल। मधुबनी स्टेशन सऽ सीधा सौराठ - ओतहु होटेल ओबेराय इन खुलतैक। अहाँके थोड़ेकबा करय पड़त खातिरदारी, अहाँके घरमें छथिये के... बुढवा-बुढिया सेहो बोकारो-बम्बई सऽ रिटायर्ड भेलाके बाद शहर सऽ घृणा उत्पन्न भेलापर आब गामहिमें मरय के इच्छा सऽ जीवन-मृत्युके बीच झूलि रहल छी। अहाँ ओहिठाम जे कुटुम्ब एता से बेकुफे बनता कि! आ फेर बनतैक शहरी - ग्रामीण मैथिल के बीच एक हाइब्रिड मैरिड रिलेशनसीप - आ तखन मिथिला समृद्ध हेतैक। पुनः सभा जोर पकड़तैक आ मिथिलाके विकास हेतैक। कि नै??
हार्दिक अपील/आह्वान:
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दहेज मुक्त मिथिला एगो छोट संस्था छैक - एखन धरि पंजीकृत नहि भऽ सकलैक अछि। जनैत छियैक कियैक?? कियैक तऽ एहिमें एखन धरि सभ बहरिया युवा-युवती सभ टा सदस्य बनलैक। होशियार अभिभावक सुतले छथिन। संरक्षकमें एहेन चिन्ता नहि जे मिथिलाके विपन्नताके प्रमुख कारण दहेज के अनाचार-व्यवहार थिकैक जे फालतू में सभ पूँजी बनिया ओहिठाम पहुँचाबैत छैक। क्रियाशील पूँजीके संग्रह-पूँजीमें परिणत करैत सिजनल बिजनेस के प्रोफिट पहुँचाबैत छैक। कि हेतैक एहि देखावा सऽ? डेढ दिनकी चाँदनी, फिर अन्धेरी रात! काल्हि सऽ तऽ फेर वैह - पति, पत्नी आ वो के तर्ज पर घरमें कलह हेतैक। ओ खाली अनावश्यक खर्चके देखावाके एक भिडियो सीडी बनतैक जे धिया-पुता देखतैक आ कहतैक... हे देखो! अपना मम एण्ड डैड कैसे शादी किये थे। पहिले कहबी छलैक जे माय-बापके बियाह देखा देबौक... याने एक गैर... आइ-काल्हि हम सभ हंसी-खुशी अपन बच्चा के अपनहि गैर पढैत छी ओ कैसेट देखा के। एहि संस्थाके मूल उद्देश्य छैक जे मिथिलामें सदाचार आबौक, लोक माँगरूपी दहेज के परित्याग करैथ। संगहि एहि संस्थाके एक आरो उद्देश्य छैक जे मिथिला के गाम-गाम कोनो ने कोनो धरोहर अवश्य छैक। गामके लोक में रुचिके कमीके कारण ओ उपेक्षित अवस्थामें छैक। पोखैर छैक तऽ लोक ओकरा भैर रहल छैक, वासडीहके कमीके पूर्तिमें पुरान कर्मठ कीर्तिके मेटा रहल छैक। इ नहि जे ओहि पोखैर में कमल के फूल फूलाय से उपाय करतैक... इ नहि जे ओहि पोखैर में नौका-विहार करय लेल शहरके आदमीके आमंत्रण करैत पर्यटकीय विकास के अवसर उत्पन्न करतैक। तुच्छ राजनीतिक इच्छाशक्ति - तुच्छ जनमानस! विकास के नाम पर लूट-खसोट। पंचायत में दारू-ताड़ी पिबयवालाके हाथमें लाठी दैत राजनेता आलीशान होटलमें रभैस कय रहल छैक। यैह थिकैक विकासशील बिहार के वास्तविक दृश्य! मिथिलामें इ कोना के चलतैक? मिथिला में सभ प्रकार के चिन्ता करनिहार आदम जमाना सऽ पैदा लैत एलय अछि। विद्यापति अही ठाम जन्मलखिन। विद्यापतिके जोड़ नहि लगलैक एखन धरि। अतः एहि संस्थाके आह्वान छैक जे अपने लोकनि संरक्षक वर्ग एकर पोषण करियैक आ मिथिलाके स्वरूपमें आवश्यक सुधार करैत संसार के नवनिर्माण लेल मार्गदर्शन करियैक। सौराठ सभा के पुनरुत्थान लेल इ संस्था गत-वर्ष सऽ कार्य कय रहल छैक आ एहि बेर माधवेश्वरनाथ महादेव मन्दिर जे एक प्राचिन कलाके अनूठा धरोहर थिकैक तेकर जीर्णोद्धार लेल सभक सहयोग के हार्दिक आह्वान करैत अछि।
प्रवीण ना. चौधरी,
अध्यक्ष, दहेज मुक्त मिथिला परिवार
सौराठ सभागाछी।
pdhkr achcha lga.
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