रविवार, 14 अगस्त 2011

आब ने कियो दहेज मंगइए।

राठी के सभा लगइए,
घर घर हर्षक दीप जरईए,
बेटी बापक मुन हर्ष्ये
आब ने कियो दहेज मंगइए।

बेटी के आब सब पढ्बइए,
धी मे सिया के रूप पबईये ,
रामक सब कामना करईय'
आब ने कियो दहेज मंगयिए।

ई डॉक्टर ते ओ इंजीनियर,
मायक हृदय बर हर्षित होइए ,
बहिन बेटी केर मान बढहिए ,
आब ने कियो दहेज मंगइए।

माथाक पाग आब माथे रहतइ,
अप्पन भाग्य अपनहि से लिखतई ,
जय मिथिला उद्घोष करईए,
आब ने कियो दहेज मंगइए ।

"अमित" क सेहो आब मुन करईछैन्ह,
सभा गाछी दिस कदम बढ़इ छैन ,
आंखिक पट आब सब खोलईये
आब ने कियो दहेज मंगइएI

अमित मोहन झा
ग्राम- भंडारिसम, मनीगाछी, दरभंगा, बिहार, भारत।
नोट..... महाशय एवं महाशया से हमर ई विनम्र निवेदन अछि जे हमर कुनो भी रचना व हमर रचना के कुनो भी अंश के प्रकाशित नहि कैल जाय।

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