शुक्रवार, 10 जून 2011

मिथिला-दर्शन भाग - १

सहरसा
मिथिला के उत्कृष्ठता के बढ़ाबै बला जिला छल "सहरसा" . मंडन मिश्र आ लक्ष्मी नाथ गोसाई के जन्म आ कर्म स्थल अछि ई जगह एकर स्थापना एक अप्रेल १९५४ कए काएल गेल । कोशी के पूर्वी हिस्सा में बसल एही जिला हरेक साल बिहार के शोक मानल जाय बला कोशी नदी के कोप के शिकार होए ले पड़य ये। प्रकृति के कोप कहियो आ की विधना केर रीत सहरसा के बनावटे एहने ये की प्राकृतिक आपदा से हरदम ई जिला प्रभावित रहय ये।

इतिहास -
पहिने सहरसा क्षेत्र अन्गुत्तरप कहाबै रहे आ उत्तर बिहार के प्रसिद्ध वैशाली जनपद के सीमा पर बसल रहे
। मगध साम्राज्य के काल में एही ठाम बौध के किछु चिन्ह सेहो भेटल ये। सहरसा जिला के बिराटपुर, बुधियागढ़ी, आ मठाई जेहन जगह पर बुद्ध चिन्ह भेटल ये । सातवी सदी में जखन आदि गुरु शंकराचार्य भारत भ्रमण पर निकलल रहे तखन ओ सहरसा जिला के महिषी गाम सेहो आएल रहे। कहल जाए ये की जखन आदि  गुरु शंकराचार्य ओतोका प्रसिद्ध विद्वान मंडन मिश्र जी के शास्त्रार्थ में हरा देलक तखन हुनकर पत्नी आ महा विदुषी "विदुषी भारती" शंकराचार्य के शास्त्रार्थ के लेल चुनौती देलक आ हुनका शास्त्रार्थ में पराजीत कए देलक

भूगोल -
सहरसा जिला कोशी प्रमंडल आ जिला के मुख्यालय अछि । एकर उत्तर में मधुबनी आ सुपौल, दक्षिण में खगड़िया, पूरब में मधेपुरा, आ पश्चिम में दरभंगा आ समस्तीपुर जिला बसल ये। जिला के क्षेत्रफल १,६६१.३वर्ग किलोमीटर येबिहार के शोक कहल जाय बला कोशी नदी एही ठाम से मुख्य रूप से गुजरै ये आ हरेक साल बाढ़ से भयंकर तबाही सेहो आनय ये

एहिठाम के मुख्य नदी ये - कोशी आ धेमरा
मुख्य शहरी क्षेत्र ये - सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर, महिषी, सोनबरसा राज, सौरबाजार, आऔर नौहट्टा

जनसँख्या -
२०११ के जनगणना के अनुसार सहरसा जिला के जनसँख्या १५,०६,४१८ छल जाही में शहरी क्षेत्र आ देहाती क्षेत्र के जनसँख्या क्रमशः १,२४,०१५ आ १३,८२,४०३ छल।

प्रशाशनिक विभाग -
प्रशासनिक विभाजनः
सहरसा जिले के अंतर्गत २ अनुमंडल एवं १० प्रखंड अछि।
अनुमंडल - सहरसा सदर (७ प्रखंड) आ सिमरी बख्तियारपुर ( ३ प्रखंड)
सहरसा अनुमंडल में आबए बला प्रखंड - कहरा, सत्तर कटैया, सौर बाज़ार, पतरघट, महिषी, सोनबरसा राज, आ नौहट्टा।
सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल में आबए बला प्रखंड - सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ, आ बनमा ईटहरी।

पर्यटन स्थल -

तारा स्थान (महिषी) - सहरसा से १६ किलोमीटर दूर महिषी गाम में बसल तारा स्थान प्राचीन काल से ही लोग सबहक श्रद्धा के केंद्र रहल ये। एहीठाम सती मूर्ति के रूप में एकटा यन्त्र पर स्थित ये। तंत्राचार्य के अनुसार महर्षि वसिष्ठ एही ठाम महाविद्या तारा के उपासना केलैन रहे जाही से प्रशन्न भए के माँ तारा एता विराजमान भेल। एहिठाम माँ तारा के संगे एकजटा आ नील सरस्वती के मूर्ति के सेहो पूजा होए ये।

मंडन-भारती स्थान (महिषी) -
महिषी प्रखंड में स्थित ई जगह  अद्वैतवाद  के सबसे पैघ प्रवर्त्तक शंकराचार्य आ मंडन मिश्र आऔर हुनकर पत्नी भारती के बीच होएल शास्त्रार्थ के गवाह अछि। कहल जाए ये की हिंदुत्व के स्थापना के लेल जगतगुरु शंकराचार्य भारत भ्रमण पर निकलल रहे जाही अभियान में ओ महिषी भी एला रहे जताs ओ शास्त्रार्थ में मंडन मिश्र के हराs देलक रहे तखन मंडन मिश्रक कनिया विदुषी भारती हुनका से ई कहि के हुनका से शास्त्रार्थ करलक जे कनिया ते पति के अर्धांगिनी होए ये मने आधा शारीर अखन ते अहन खाली आधा शारीर के हरेलों ये आब अहाँ हमरा से शास्त्रार्थ करू आ इतिहास गवाह ये एही शास्त्रार्थ में ओ विदुषी कन्या जगतगुरु शंकराचार्य के हराs देलक रहे।

सूर्य मंदिर (कन्दाहा) - बारहवी शताब्दी में राजा नरसिंह देव एही मंदिर के निर्माण करेलक रहे। मिथिला ही ना मुदा संपूर्ण बिहार आ भारत में एही मंदिर प्रशिद्ध  ये। सूर्य मंदिर में ग्रेनाईट के शिलालेख पर भगवान् सूर्य के मूर्ति ये जे सात घोड़ा से जुतल रथ में सवार ये। कहल जाए ये की एकटा क्रूर मुग़ल राजा कलापहाड़ एही मंदिर कए खंडित कए देलक रहे जकर बाद मिथिला में भगवान् आ प्रसिद्ध संत लक्ष्मी नाथ गोसाई एकर जीर्णोधार केलैन।

चंडिका स्थान (विराटपुर) - सोनबरसा ब्लाक में बसल बिराटपुर गाम माँ चंडी के बहुत ही प्राचीन मंदिर के लेल प्रसिद्ध अछि। एही गाम महाभारत काल के राजा बिराट के नाम के साथ जुड़ल अछि। कहल जाए ये की निर्वासन के काल में पांडव एहीठाम बारह बरस तक रहल छल। तांत्रिक आ वैदिक लोग सबहक मतानुसार धमहरा घाट के कात्यायनी मंदिर आ महिषी के तारा मंदिर के साथ एकटा समबाहु त्रिभुज बनाबै ये जे की सिद्धि के लेल अति महत्वपूर्ण अछि। नवरात्र में एहिठाम के महत्व बेसी भए जाय ये एते एही समय बिजली देवी के पूजा होए ये। कारु खिरहरी मंदिर - कोशी नदी के तट पर बसल करू खिरहरी मंदिर मिथिला के लेल एकटा भयंकर आस्था के प्रतीक अछि। कहल जाए ये की गाय के प्रति ओकर अगाध प्रेम आ आस्था के लेल हुनका शंकर भगवान् से देवत्व प्राप्त भए गेल रहे ताहि लेल करू खिरहर के गाय के दूध चढ़य ये। महिषी ब्लाक से दू किलोमीटर दूर महपुरा गाम के कोशी के तटबंध पर हिनकर मंदिर अवस्थित ये। मुदा आब हाल में ही बिहार सरकार भी करू खिरखरी मंदिर के एतिहासिक पर्यटक स्थल बनाबै के घोषणा करलखिन ये।
लक्ष्मीनाथ गोंसाई स्थल (बनगाँव) - मिथिला के एकटा महान कवी आ महान संत लक्ष्मीनाथ गोंसाई के अवशेष के एकटा बोड गाछ के पास सरंक्षित काएल गेल ये। हिनक महिमा से आय बनगांव दिन दूना राति चौगुना तरक्की कए रहल ये। एक से एक पैघ आइ.आई.टी. आई.एस आ आई.पी.एस एही गाम मिथिला के देलक ये। मिथिला के लेल ई बहुत ही पैघ आश्था के प्रतीक अछि।
देवन वन शिव मंदिर - नौहट्टा ब्लाक के साहपुर मंझौल में स्थित एही मंदिर में एकटा शिवलिंग स्थापित अछि। कहल जाय ये की एही शिवलिंग के स्थापना १०० इशापुर्व में महाराजा शालिवाहन केलैन रहे। एही जगह के वर्णन श्री पुराण में भी भेटल ये। मिथिला के प्रमुख पावनि-त्यौहार में जितिया के बाद पैघ स्थान अछि कहल जाय ये की महाराजा शालिवाहन के बेटा के नाम जितिया रहे जाही से लोग एही पर्व के मनाबै अछि। प्राचीन समय में देवन वन कोशी के प्रकोप के कारण टूटी गेल रहे जकरा बाद में ग्रामीण सब ओ बचल अवशेष पर नबका मंदिर ठार करलक।
शिव मंदिर(नौहट्टा) - जिला के नौहट्टा प्रखंड में स्थित शिव मंदिर आस्था के महान संगम अछि एही मंदिर के उंचाई ८० फीट छल।१९३४ में आएल भूकंप के कारण ई मंदिर क्षतिग्रस्त भए गेल रहे जकरा बाद में श्रीनगर एस्टेट के राजा श्रीनानंद सिंह जी एकर पुनर्निर्माण कैलक रहे। संगे संग एही गाम माधो सिंह के कब्र के लेल भी प्रसिद्द अछि, माधो सिंह लादरी घाट के लड़ाई में शहीद भए गेल रहे जकर याद में एही कब्र के निर्माण भेल, एही कब्र पर हिन्दू आर मुशलमान दुनु गोटे प्रसाद चढ़ाबै अछि।
दुर्गा मंदिर (उदाही) - जिला के कहरा गाम में स्थित एही मंदिर के मिथिला के लेल खास महत्व अछि। कहल जाय ये की एही गाम के सोन लाल झा के साक्षात् दुर्गा जी स्वपन में दर्शन देलक आ एही जगह के खुदाई के लेल कहलक, खुदाई के क्रम में दुर्गा जी के विशाल आ सुन्दर प्रतिमा भेटल जकरा गाम बला सब स्थापित कए के मंदिर के निर्माण कए देलक। दूर दूर से गाम से लोग एही मंदिर के दर्शन लेल आबय ये। कहल जाय ये की एही मंदिर में दुर्गा देवी सबहक मनोकामना पूर्ण करय ये ।

मतस्यगंधा मंदिर (सहरसा) - सहरसा जिला में बंजर आ पानी से भरल रहय बला जगह में पर्यटन के लेल विकशित कराल गेल जकर नाम मत्स्यगंधा भेल। एही जगह पर माँ काली के एकटा भव्य मंदिर अछि जकरा रक्त काली के नाम से जानल जाय ये, एही ठाम मिश्र के पिरामिड के जोंका एकटा मंदिर बनल ये जाही में दुर्गा के ६४ रूप के मूर्ति अवस्थित अछि एकरा चौसठ योगिनी के नाम से जानल जाय ये, मान्यता के अनुसार कोलकाता के बाद दोसर चौसठ योगिनी एही ठाम ये। बिहार सरकार भी पर्यटन के लेल एकरा विकसित कए रहल ये जाही योजना के एता एकटा पैघ टूरिस्ट काम्प्लेक्स बनेलक ये।




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