गुरुवार, 23 जून 2011

सौराठके सभा के संग दहेज मुक्त मिथिलाके संगठन विस्तार हेतु एक अभियान


सूचित करैत प्रसन्नता भऽ रहल अछि जे सुनियोजित संपूर्ण कार्यक्रम २० आ २१ जून के सौराठ सभामें दहेज मुक्त मिथिलाके तरफ सऽ करबैत आगामी समय के लेल सेहो कर्मठ सदस्य लोकनि अपन जुझारूपन सँ सौराठके सभा के लेल लगातार चिन्तन-मनन आ किछु-किछु सोच-विचार कार्यक्रम सभ प्रतिदिन करैत रहता। संगहि पंजिकारजी सभ के जीवन पर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करताह - आगामी समय में पंजिकारजी सभके संग एक गाम-गाम जागरण अभियान होइक से प्रयास करब आ पंजी प्रथाके महत्त्वके धूमिल होवय सँ सेहो बचायब - हलाँकि दहेज मुक्त मिथिलाके लेल इ कोनो मुद्दा नहि थिकैक... तदापि एक अमूल्य परंपराके रक्षा करय लेल आ संग-संग दहेज मुक्त मिथिलाके संगठन विस्तार हेतु एक अभियान चलायब से प्रस्ताव पारित कैल गेल।

सौराठ सभाके पुनरुत्थान हेतु दहेज मुक्त मिथिलाके प्रयास टा रहल - सौराठ ग्रामवासी एवं बहुत कारण अछि जे शायद सौराठके पुनरुत्थान के बहुत पैघ बाधक - एहि पर हमर किछु महत्त्वपूर्ण खोज अपने सभ संग शेयर करय चाहब।

सौराठ एक विकसित आ सम्पन्न गामके श्रेणीमें अछि। एहिठाम के बासिन्दा बहुत सम्भ्रान्त एवं उच्च वर्गके लोक सभ छथि। ब्राह्मण सभ में सामान्यतया एकता संभव नहि होइछ, से अति-प्रसिद्ध इ उक्ति एहिठाम चरितार्थ होइछ। ओना ८०% लोक सभ आत्मनिर्भर रहैत गाम सँ बाहर छथि आ थोड़-बहुत जे केओ छथि ओ आपसके ईरबाजीमें टूटल-फूटल-बिखरल छथि जाहि के कारण सौराठके सभा में हिनका लोकनिक न्यून सहभागिता रहैत छन्हि। एक समर्पित व्यक्तित्व डा. शेखर चन्द्र मिश्र छथि जिनक दुइ बालक जाहिमें एक नाबालग किशोर सेहो छथि - हिनकर सभक सहभागिता केवल एहि सभाके लेल काज करैत अछि... बाकी लोक सभ हिनक समर्पणके उल्टे मखौल उड़ाबैत आ अनेक बेफालतू-बदतमीज तोहमत लगाबैत एहि सभाके विरुद्ध अपन नेटवर्किंग करैत छथि - एहि के लेल जतेक अफसोस जतायब ततेक कम होयत। गामके युवक सभ सेहो एहि सभाके प्रति अत्यन्त उदासीन आ चौकपर बैसि हंसी उड़ौनै - सहभागी सभपर छिंटाकशी कसनै आ नहि जानि कतेको नकारात्मक विचार-विमर्श करैत छथि एहि सभाके कहियो पुनरुत्थान नहि होवय दैक लेल... शायद इ प्रायोजित दुष्प्रचार थीक। शायद एहिमें किछु छुद्र लोक जानिबूझि केवल शेखर बाबु संग ईरबाजी करैत हुनका सहयोग करैक बदला हुनक विरुद्ध अनेक कपोलकल्पित आरोप लगबैत बाहरो सँ कैल गेल प्रयास के कोनो सराहना नहि करैत ... एतय तक जे एक भागवत-भजन तक में सहभागी नहि बनैत एहि सभाके सभसँ पैघ दुश्मन बनल छथि।

सौराठके संग जुड़ल अछि अनेको सुप्रसिद्ध गाम जे मैथिली एवं मिथिलाके लेल कोनो ने कोनो प्रकार सऽ अपन पूर्वक योगदान लेल सेहो नामित छथि... हिनका ओहिठाम सौराठके समान मानसिक दूर्बलता बुझायल। भले ओ गाम पोखरौनी होइक, वा ओ गाम सतलक्खा, वा राँटी, मंगरौनी, लोहा, कपसिया... कोनो गामके लोकके बढि-चढि हिस्सा लैत नहि देखलहुँ। बहुत दुःखद बात लागल। कारणके खोज कयल तऽ पता चलल जे हिनका लोकनि जे एक समयमें अतिथि सत्कारके लेल सेहो अति नामित छलाह आब अतिथि देखब नहि सोहैत छन्हि। एकर आरो गहराई में देखलहुँ तऽ इ बुझायल जे आर्थिक गरीबी सँ बेसी समांग लेल झखैत मात्र बूढ-पुरान सभ केवल घरपर रहैत छथि जिनका सँ अतिथिके ओ पुरान परंपरा सत्कारवाला निर्वाह संभव नहि अछि। चलू... आब इ समस्या जायज सेहो भऽ सकैत अछि.... पहिले व्यक्तिगत जीवनके निर्वाह सभके प्राकृतिक अधिकारके बात होइछ। लेकिन समाजिक दायित्वके निर्वहन सेहो महत्त्वपूर्ण होइछ आ तेकरा हमरा लोकनि अपन छूद्रताके चक्कर में नहि छोड़ी से कामना आ जागरण अभियान लेल नारा होयत।

किछु भ्रान्ति सेहो दूर हेबाक जरुरी बुझैछ.... आब, लड़का धोती-कुर्ता-पाग पहिरि के सौराठमें आबि विवाह करय में अपन सम्मानपर चोट बुझैत छथि। जखन कि वास्तविकता सौराठ सँ विवाह भेनै एक सम्मानके बात छलैक। हलांकि एहि महत्त्वके लोक अपनहि धूमिल कयलाह... समय के माँग हेतैक... कोनो बेसी टिप्पणी बीतल बातपर केला सऽ फाइदा कि? आर एक बात, सौराठ सभामें विवाह के प्राथमिकता कदापि नहि रहल छल शुरुवात में... लेकिन इहो बात छैक जे शास्त्रार्थ एवं कोनो सान्दर्भिक विषय ऊपर समीक्षात्मक प्रस्तुति जे कोनो लड़का के विशिष्टताके बखान करैत छलैक ताहिपर लोक आकृष्ट होइत अपन परिवार वा सम्बन्धीमें कुटमैती तय करैत छलैक। क्रमशः ह्रास सभमें अबैछ... अवश्य हमरा लोकनि सेहो एहि शुद्धताके कतहु ने कतहु त्याग कयने रही आ कालान्तरमें सौराठ सभा अपन ताहि विशिष्ट रूपके छोड़ि केवल वैवाहिक सम्बन्ध मात्र लेल एक बाजारके रूप लऽ लेने छल। अति बेसी कोनो चीजके खराब होइछ। यदि सम्बन्ध के लेल सेहो मात्र प्रयोग होइत तऽ कोनो बात नहि, दहेजके खूल्ला माँग वर पसन्द भेलाके बाद कयनै आ खूलल बाजार में अपन बेटा के बेचनै यदि कोनो प्रबुद्ध समाजके सोचयपर, लिखय पर वा एतय तक जे प्रचार करयपर मजबूर कयलक कि सौराठ वरहट्टा थीक, लोक अपन बेटाके एतय बेचैत छथि... एतबा नहि, जे झरांठ सभ छलाह सेहो पाइके बले केकरो बेटीके किनयके काज सेहो करैत छथि... आदि-आदि। कतेक रास एहेन कूरीतिके प्रवेश भेल जे सौराठके आत्मा टा छोड़ि नहि जानि शरीरके कहिया नऽ दाह क्रिया एवं श्राद्ध सेहो कय देलक। :( आब, पुनः जन्म लेल तपस्याके जरुरी छैक जे करैक लेल शायद एक-दू-तीन गोटाके काज सऽ किछु संभव नहि छैक। हम तऽ कहब जे शेखर बाबु के संग यदि वैरी होय वा हुनक कोनो व्यवहार अपनेकेँ शंकास्पद बुझैत होइ तऽ हम सभ हुनका संग आग्रह करी जे एकबेर अपने सहयोग करी, आगू फलांके होवय दी आ देखी जे कि सभ होइछ.... वा प्रजातांत्रिक हिसाब सऽ चुनाव करी - समिति बनाबी, संगठन गाम-गाममें ठाड़्ह करी। शायद परिवर्तन हेतैक, पुनर्जन्म अवश्य हेतैक। मुदा एहि सभके लेल कर्मठ प्रयास जाहिमें त्यागके पूर्ण मात्रा होइक - केवल ताहि टा सँ हेतैक।

अहाँ सभ विश्वास नहि करब.... सौराठमें काज करेनिहार बहुत कम लोक आ पत्रकार के १००-२०० टाका दऽ के नाम छपबावयवाला बहुतो। अपने लोकनि शायद एहि बातपर विश्वास करब या नहि... दहेज मुक्त मिथिलाके नाम सऽ जेना कतेक पत्रकारके एलर्जी छलन्हि... कतहु नाम नहि... लेकिन अफसरशाहीके गुलाम बनैत केवल अफसरके नाम आ संवाद छापला सऽ - कर्मठ कार्यकर्ताके वा हुनक भावनाके कतहु कोनो जगह नहि देबाक धारणाके लेल वैमनस्यतापूर्ण पत्रकारिताके हम बहुत धिक्कारैत छी। अनेकों वर्ष सँ अकेले लड़ैत शेखर बाबुके संग दहेज मुक्त मिथिला दैत स्थानीय एकमात्र समर्पित कार्यकर्ता श्री प्रकाश चौधरीजी के आइ विगत २-३ महीना सँ हरेक विन्दुपर सहकार्य करैत सभाके उद्‍घाटन समारोह कराओल गेल, बाबा मन्दिरमें पूजा-अर्चनाके संग कुमारि-बटुक-ब्राह्मण भोजन, दूरके गाम कुर्सों-नदियामी-मछैता-महियाके लोक सभ आबिके पूरा सभामें बाबाके जयकार आ मिथिलाके झंकार के अलख पसारलाह... लेकिन स्थानीय स्तरके एहि प्रकारके कोनो उत्साह नहि, कोनो प्रयास नहि... धिक्कार अछि एहेन निष्क्रिय आ असमर्थ समाजके। धिक्कार अछि एहेन फरेबसँ भरल तथाकथित विकसित समाजके। धिक्कार अछि एहेन सोचके जे आपस जुड़य लेल कम आ तोड़-फोर करैक लेल बेसी सक्रिय छथि।

हम तऽ खूब प्रशंसा करब एहि फेशबुक के जे कम से कम हमरा लोकनि के एहेन नीक संवेदनशील मित्र सभ सँ संगठन बनाबयलेल प्रेरणा देलक आ बहुत नीक-नीक लोक सभ सँ भेंटघांट, दर्शन, प्रेमके आदान-प्रदान आ फोटो सेहो संग-संग खिचेलहुँ, लोक सभके खूब सेवा कयलहुँ, सभ व्यवस्थामें अपने लोकनि तत्पर रहलहुँ - राजुजी, सोनुजी, विकासजी, राकेशजी.... ताहि बीच पंकज भाइ आ कमलेश बाबुके कार्यक्रम ठीकठाक भऽ रहल अछि कि नहि तेकर चिन्ता - बुझू अपनहि हेरायल रहलहुँ। पतो नहि चलल आ रात्रिके साढेसात बाजि गेल... हमरो संगमें मिथिलाके महान्‌ विभूति श्री धीरेन्द्र प्रेमर्षि - महान्‌ समाजसेवी डा. सुरेन्द्र ना. मिश्र, श्री देवेन्द्र झा आ नेपालके अति जिज्ञासू आ मित्र पत्रकार श्री कमल रिमाल आ पूर्ण समर्पित चालक श्री काजी गुरुजी छलैथ जे एहि सभाके लेल नेपाल सँ संगहि सौराठ तक अयलाह आ धीरेन्द्र भाइजीके सुन्दर मुखारवृन्द सऽ दहेज मुक्त मिथिलाके उत्पत्ति, प्रयोजन आ प्रयोग ऊपर समीक्षा सुनि हृदय आनन्दित भेल। आरक्षी निरिक्षक महोदयके संक्षिप्त मुदा महत्त्वपूर्ण भाषण मनपर विजय प्राप्त कयलक। हुनक ओ सुन्दर उदाहरण - पक्षीके नाम नहि अछि याद मुदा कोनो अंग्रेज कविके अंग्रेजी कवितामें ताहि पक्षीके सुन्दर चर्चाजे उड़ैछ ओ आकाशके सभसे बेसी ऊँचाईमें मुदा ओकर दृष्टि सदिखन अपन उद्‍गमविन्दु पृथ्वी पर रहैछ.... बहुत पैघ सन्देश देलाह ओ समग्र मैथिल ब्राह्मणके जे एहेन वैज्ञानिक महत्त्वके वंशावली परंपरा आ वैवाहिक निर्णय के सिद्धान्तके अपनाओल एहि प्रजातिके एतेक पुरान परंपराके स्वयं इ सभ आधुनिकताके ऊँच उड़ान में परित्याग कय रहल छथि जे दुखद अछि आ ओहि पंछीके समान किछु सोच आनैत आगामी दिवसमें एकर स्वरूप पुनः अपन पुरान गरिमाके पाओत से शुभकामना हृदयके जीत लेलक। जिलाधीशजी सम्भ्रान्त एवं सशक्त रूप सऽ एकर रक्षाके लेल आह्वान सेहो कयलाह। व्यक्तिगत रूप में हुनक प्रतिबद्धता जे दहेज मुक्त मिथिलाके काज वास्तविकताके धरातलपर कराबैक लेल जे सहयोग चाही से देताह... ओह, महोदय! अहाँके हम आजीवन ऋणी रहब। आरो महत्त्वपूर्ण वक्ता लोकनि बजलाह आ संयोग सँ महादेव हमरा लोकनिक लाज अपनहि बचौलन्हि जे १०० जोड़ी विवाह करबैक लेल संकल्पित हमरा लोकनिक दहेज मुक्त मिथिलाके एको जोड़ी उपस्थिति नहि देखेलाक बाद स्वयंस्फूर्त रूपमें श्री गणपति झा जे अंधराठाड़ी सऽ जिला पार्षद सेहो छथि अपन इन्जिनियर बेटाके भरल सभामें स्टेज पर बजाके सभके समक्ष हुनक विवाहके अवस्था भेला उपरान्त बिना दहेज के करब से घोषणा करैत दहेज मुक्त मिथिलाके उद्देश्यके ऊपर अपन मोहर लगा देलाह। जय जय!! दहेजके विन्दुपर बाबुसाहेब सेहो वृद्ध मुदा खूलेआम सभके सुनबैत बजलाह जे श्रोत्रिय वंशके उदाहरण सऽ सभ केओ सिखू - दहेजके कोनो व्यवहार नहि होइछ हिनका लोकनि में.... कोनो आडंबर सेहो नहि होइछ... सौराठके जे पुरान गरिमा छल तेकरा वापस लाबैमें केवल भाषण नहि बल्कि शपथ ग्रहण करै जाउ जे अपन संतानके बेचब नहि, केकरो बेटीके घरमें लाबैक लेल शर्त नहि लगायब, बल्कि अपन कुल-खानदानके मर्यादा के रक्षा करनिहैर बेटीके पुतोहु बनाके घरमें सम्मानपूर्वक गृह-प्रवेश करायब। ग्रेट रियली!!

अगिला सालके लेल टार्गेट लेलहुँ हमरा लोकनि जे १०० दहेज मुक्त विवाह करबायब - एहि प्रतिबद्धताके रक्षा अपने लोकनिक सहयोग आ अवश्य हमर ईष्ट महादेवके कृपा सऽ संभव होयत, एतेक बात कहैत आजुक हमर इ समीक्षात्मक रिपोर्ट के विराम दैत छी।

नमः पार्वती पतये हर हर महादेव!

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