शुक्रवार, 6 मई 2011

खट्टर काका से वार्तालाप " दहेज़ मुक्त मिथिला" के संदर्व में"


http://maithilaurmithila.blogspot.com/2008/05/blog-post_29.html

खट्टर काका से वार्तालाप 

" दहेज़ मुक्त मिथिला" के संदर्व में"

( हम - खट्टर काका के दलान पर जखन पहुन्चलो , हुनक आँगन से अबाज आयल जे एखन ओ भोजन पर बैसल छैथि कनिक कालक बाद में आओ -: )

हम -     बेस ठीक अच्छी तबे में हम कनिक एहो गाम घुमने आबैत छी , (दू मिनट के बाद खट्टर काका के धर्म पतनी हमरा जोर से अबाज देलैथि जे ) , यो मदन बाबु अपनेक के बुलाबैत छैथि , हम हुनक आंगन गेलो , देखलो खट्टर काका आशन पर बैस भोजन सांत मन से करैत छलैथि , हमरा इसारा कके कहैत छैथि जे अहूँ अहि आशन पर बैसल जाओ ---

 दबे में देखलो जे काकी सजल थाड़ी भैर हाम्रो आगू में राखी देलखिन , हम संकुचित मन से अक्चकित रूप में पारी गेलो , खट्टर काका इसारा रुपे कहलैथि पहिने भोजन करू बाद में सब गप - सप्प हेबे करत , हम पूर्ण रुपे , भूख त लागले छल भोजन डईत के केलो , भोजनक उपरांत पान आ सुपारी सेहो भेटल , आ खट्टर काका हमरा हाथ जोड़ी सेहो अतिथि सत्कार रक संग एहो कहलैथि जे आई हमरा १०८ टा ब्रामण भोजन के फल भेटल ,

हम - से कोना ?

खट्टर काका -- आई बैसाखक दुवाद्शी छी ब्रामण भोजन करेनैय परम अब्स्यक होयत अच्छी , कियाकि कैल हम दुनु प्राणी एकादशी व्रत में छेलो

हम - अपन मन में सोचैत ई उत्तर भेटल जे एकही पंथ दुई काज सायद लोग सब एकरे कहैत अछि , कनेक बिश्राम केलक बाद ----

खट्टर काका - तहन बताओ मदन बाबु आई फेर पुनः कुन उदेश्य से अपनेक हमर दलान के पवित्र कैलो ?
हम -- खट्टर काका अहि से किछ दिन पहिने हम अपनेक सँ मिथिला के संदर्व में -- 
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बात करैक लेल आयल छलो , ओ अपनेक वचन समस्त मिथिला वाशी के सर्वोपरी आ उदेश्य पूर्ण लगलैन , ओहिना आई फेर अपनेक समक्ष मिथिला में जे भ्रस्ट लोकैंन दुवारे जे उपजल कुरितियाँ , जाकर हम सब दहेज़ प्रथा कहैत छियक ओही के सन्दर्भ में आई फेर हम अपनेक सँ जानकरी जनैय एलो हन ,जे एकर निदान कोनक हेतैय जाही से आबे बाला दिन में हमर मिथिला '' दहेज़ मुक्त मिथिला '' कहओत ?

खट्टर काका -- बहुत निक गप्प अपनेक हमर मोनक बात राखि लेलो , मदन बाबु अहि विषय पर कतेको बुजुर्ग आ नव युबक के सेहो उदेश्य देलियां कियो कान बात नै देलैन , क्याकि आइकैल में सब मत्लवी छैथि , बस अप्पन देखाइत छैन दोसर के जे भेलैन से भेलैन हमर काज त ठीक अछि , अहि में कोना चलत ई दहेज़ मुक्त मिथिलाक अभियान ?

हम -- खट्टर काका सब से पहिने ई कहू जे की दहेज़ प्रथा भेनाय जरुरी छैक की , अहि बिना कन्यादान शाम्भव नै चैक ?

खट्टर काका --- मदन बाबु ई की गप्प पुछैत छि ई त गाम - घर के गल्ली - कुची में जे कुकुर आ बिलाईर रहित छैक तकरो बुझलो छैक जे दहेज़ प्रथा बहुत खाराप होयत छैक , जे कन्या गत के भूमि हीन और कर्ज लिन बना देत अच्छी ,

हम -- खट्टर काका जहन कुकुर और बिलाईर के बुझल छैक जे दहेज़ प्रथा बहुत खाराप होयत छैक तहान अप्पन मिथिलाक के लोक की कुकुर आ विलाईर से नीच अच्छी की ? , जे हम बिना दहेज़ लेने आ नै दहेज़ देने बियाह काराव ? ई कन्यागत आ बअर यागात के कुन धर्म के आ कुन शासन के नियम छियक से बताऊ ?

खट्टर काका -    दहेज़ प्रथा कउनु शासन आ पूरण से नै आयल अछि , ई अप्पन मिथिला से निकलल अछि जे हमर मान केना बढ़त , जे फल्ला झा के या फल्ला ठाकुर के एतेक मांग देलकैन त चिलां बाबु के एतेक दान देलकैन , ईहा गप्प सप एक दोसर सुनलक आ अप्पन समाज में रित बना लेलक जकरा हम सब आई कैल दहेज़ प्रथा के नाम से जनैत छी

हम - खट्टर काका हमर नवयुबक भाई - बोहिन के अनुमान अछि जे ई प्रथा एक दिन विनासक के कारन बनत ताहि लेल एकरा ख़तम कोना कयाल जा सकैत अछि ? जे अबैय बाला पीढ़ी के जिनगी में समस्या नै आबैय आ स्वतंत्र जिनगी जीवय

खट्टर काका - बहुत निक गप्प मदन बाबु अपनेक पूछलो , यदि नव युबक चाहैत त अहि प्रथा के बहुत जल्दिय ख़तम क सकैत अच्छी , एक दोसर के सहयोग से क्याकि आबैय बाला दिन मंहगाई आ बेरोजगारी के दिन होयत , ओही में अपनेक सब की - की सब क सकैत छि , ई मिथिले टा में नै सम्पुरण भारत वर्ष में कल्याण होयत ,
नव युबक अप्पन परिवार अप्पन गाम अप्पन समाज अप्पन क्षेत्र अप्पन देश के भविष्य होयत अच्छी , ओकरा शोचाणय छैक जे हमर आबैय बाला दिन में की - की दिककत होयत , ताहि दुवारे ओ अप्पन माय - बाबु, सासु - ससुर , भाई बोहिन , काका - पीती , बाबा दादा नाना सब से अहि विषय पर बात करैथि जे अहाँ सब हमर भविष्य के बारे में शोचू जे दहेज़ की -की करत हमर सबके जिनगी में , एकर उपाय अपनेक सब मिल के करू आ दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ
हम - खट्टर काका किछ लोग कहैत छैथि जे दहेज़ मुक्त मिथिला तखन बनत जहन प्रेम वियाह के प्रधानता रहत की ई अप्पन मिथिला में संभव अछि ?

खट्टर काका - बात त बहुनिक सोचैत छैथि नव्युबक लोकेन मुद्दा ई संभव निक लागैत अछि , मदन बाबु यदि प्रेम बियाह के प्रधानता देत छि त कन्यादान के महत्व नै रहत क्याकि अप्पन मिथिला एकरा स्वीकार नै करत कारन की प्रेम में जाईत धर्म नै देखल जायत अछि , यदि किनको प्रेम एगो छोट वर्ण से हओत छैन त ओकरा अप्पन समाज अप्पन बरदारी में मान सम्मान नै देत अछि , अन्यथा ओकरा अप्पन घर परिवार से निकैल दैत अछि , ताहि से प्रेम बियाह उचित नै लागैत अच्छी |
हम -- खट्टर काका आई कैल में राजनिति लअके , दहेज़ प्रथा किछ हद तक बढ़ी गेल अछि अहि सन्दर्व में अपनेक की बिचार अछि राजनिति केनाय जरुरी लागैत अछि की ?

खट्टर काका - राजनिति और दहेज़ प्रथा के कुनू अनुओन्य्श्रय सम्बन्ध नै छैक , ओही के उपरांत आई के जुग में हरेक बात पर ,हरेक काज में अप्पन राजनीत उदेश्य बतायल जायत अछि ,जाही से गाम - घर के आम आदमी पर विशेष प्रभाब पारित अछि , अप्पन खेत खालाय्यानामें समय नै दके , चओक चुराह पर राजनीतिक आडा बनके , दहेज़ प्रथा के बात करैत अछि जे फल्लं बाबु के बेटा में एतेक दहेज़ देलकैन ता हिनका बेटी में ऐतबा दहेज़ क्या लगलैन , ताबे में कियोक कहै अच्छी जे मिखिया जी के नैएत के एतेक दान दहेज देलकैन , ई गप्प सप एक कण से दोसर कान में गेल जाही से एक दोसर के जिनगी में विशेष प्रभाब पारित अछि , जाही से दहेज़ के मांग के सेहो बढ्य लागैत अच्छी , ताहि दुवारे राज निति से हटने नबयुबक के अति अबस्यक अछि

हम -     खट्टर काका जायत - जायत बस एतेक बताओ दहेज़ मुक्त मिथिला के अभियान सफल होयत की नै ? हमर नबयुबक के मोनक अभिलाष लागले रही जायत , जे हम सब आब दहेज़ मुक्त बनी गेल छी या बेटी या बोहिन के जिनगी में संकट नै रह्त या संकट मुक्त बनिगेल या दहेज मुक्त मिथिला सफल भगेल

खट्टर काका - अपनेक सब नबयुबक से बस ईहा अनुरोध अछि जे दहेज़ मुक्त मिथिला के अभियान चालू रiखु , एक दिन ई अभियान जरुर सफल होयत , अगर रुकी जायत छी त फेर से सदा के लेल ई लागु रही जायत और मिथिला कमजोर बनजैत , हाँ समय अहि में जरुर लागत मुददा धीरे - धीरे सब ख़तम भजयात आ एक दिन हमर मिथिला दहेज़ मुक्त मिथिला कहओत से हमर सब बुजुर्ग गन के आशा और अभिलाष अछि

जय मैथिल , जय मिथिला समाज

मदन कुमार ठाकुर
कोठिया - पट्टीटोल
भैरव स्थान , झंझारपुर
मधुबनी , बिहार
0 9312460150

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