गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

चुनावी बयार...

गाँव के इलेक्शन पर हाइकू के कविता बनाबै के प्रयास केलो ये देखल जाओं...
मुखिया -:
चुनाव लेल
पहिरे लागल ये
खादी कुरता

सरपंच-:
बुझायल जों
महिमा चुनाव के
गेल बोराय

पंच-:
दारु,टका सों
ख़रीदे रहल ये
सबटा वोट

वार्ड-सदस्य -:
चुनावी नैया
पार करय लेल
जोड़ैत हाथ

जनता-:
पाँच साल के
निकालैत छिकार
ये बुधियार

1 टिप्पणी:

  1. लेकिन ऐ कुल में हमनियों के ओतने भागीदारी बा भैया..
    बिके खातिर सब जानी तैयार बनी त उ कुल खरीद ताने..

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