कहियो पूर्णिमा सन आलोकित,
मैथिल, मिथिला आ मैथिली,
आइ घोर अन्हरियामे हराओल अइ,
किछ दूर टिमटिमाइत तारा सन,
किछ मिटैल पगडण्डी,
आरि-धुरिमे ओझराएल अइ,
सभ्यातक सूर्य,
कहिया परिचयकेँ बदलि देलक,
किछ आभासो नै भेल,
मुदा !
जहन-जहन पाछू तकैत छी,
ह्रदयमे किछु उथल-पुथल,
बहराइ लेल व्याकुल अइ,
मुदा !
भीतरे-भीतर घुटि जाइत अइ,
स्वच्छन्दता- स्वतंत्रता नै अइ,
अपन अहंग,
सैहबी डोरीमे बन्हाएल,
जाबी लगौने,
बरद जकाँ ऑफिसक दाउनमे लागल छी,
अपन सहजता-सरलतासँ डेराइत,
जे पाछू नै भऽ जाइ ,
अपन परिचयसँ भगैत,
नव परिचय बनाबैमे लागल छी,
मुदा !
ओ स्वर्णिम गौरव गाथा,
कोना लिखब,
माता-पिता आ पूर्वजक प्रति श्रद्धा बिनु,
भाषाक प्रेम सिनेह बिनु,
कोन रंगसँ रंगब
अपन कैनवासकेँ…..
कोन गीतसँ सजैब
अपन जीवनकेँ ……
मुदा !
हम सुतल नै छी,
मरल नै छी,
जागल छी,
हमर अल्हड़ता, हमर सहजता, हमर नम्रता
मैथिल, मिथिला आ मैथिली,
आइ घोर अन्हरियामे हराओल अइ,
किछ दूर टिमटिमाइत तारा सन,
किछ मिटैल पगडण्डी,
आरि-धुरिमे ओझराएल अइ,
सभ्यातक सूर्य,
कहिया परिचयकेँ बदलि देलक,
किछ आभासो नै भेल,
मुदा !
जहन-जहन पाछू तकैत छी,
ह्रदयमे किछु उथल-पुथल,
बहराइ लेल व्याकुल अइ,
मुदा !
भीतरे-भीतर घुटि जाइत अइ,
स्वच्छन्दता- स्वतंत्रता नै अइ,
अपन अहंग,
सैहबी डोरीमे बन्हाएल,
जाबी लगौने,
बरद जकाँ ऑफिसक दाउनमे लागल छी,
अपन सहजता-सरलतासँ डेराइत,
जे पाछू नै भऽ जाइ ,
अपन परिचयसँ भगैत,
नव परिचय बनाबैमे लागल छी,
मुदा !
ओ स्वर्णिम गौरव गाथा,
कोना लिखब,
माता-पिता आ पूर्वजक प्रति श्रद्धा बिनु,
भाषाक प्रेम सिनेह बिनु,
कोन रंगसँ रंगब
अपन कैनवासकेँ…..
कोन गीतसँ सजैब
अपन जीवनकेँ ……
मुदा !
हम सुतल नै छी,
मरल नै छी,
जागल छी,
हमर अल्हड़ता, हमर सहजता, हमर नम्रता
हमर परिचय अइ,
सभ्यातक आलोकसँ आलोकित,
आइ आब हम समर्थवान छी,
तँ किएक ने अपन समृद्धिसँ,
अपन परिचयकेँ सींची,
अतीत तँ स्वर्णिम छल,
आब आइ आ आबैबला काल्हि,
केँ सेहो स्वर्णिम बनाबी,
सभ गोटे मिली कऽ,
एक दोसरकेँ मैथिलीक रसपान कराबी.
सभ्यातक आलोकसँ आलोकित,
आइ आब हम समर्थवान छी,
तँ किएक ने अपन समृद्धिसँ,
अपन परिचयकेँ सींची,
अतीत तँ स्वर्णिम छल,
आब आइ आ आबैबला काल्हि,
केँ सेहो स्वर्णिम बनाबी,
सभ गोटे मिली कऽ,
एक दोसरकेँ मैथिलीक रसपान कराबी.
pankajjha23@gmail.com
http://pankajjha23.blogspot.com/
bahut nik pankaj ji
जवाब देंहटाएंहमर अल्हड़ता, हमर सहजता, हमर नम्रता
हमर परिचय अइ,
सभ्यातक आलोकसँ आलोकित,
आइ आब हम समर्थवान छी,
@धन्यवाद मदन जी, आब समय के संग चलैत ज्ञान, विज्ञान आ तकनीकक प्रयोग कै सब गोटे मिली क मैथिल मिथिला मैथिलीक लेल किछ निक करी येह प्रार्थना अई ईश्वर स ....
जवाब देंहटाएं