हालांकि मुझे ऐसा लग नहीं रहा है कि #अलीनगर विधानसभा सीट से मैथिली ठाकुर को भाजपा टिकट देने जा रही है लेकिन अगर भाजपा आलाकमान ऐसा करती है तो ये यकीनन गलत होगा। "पार्टी विथ डिफरेंस" यानि सिद्धांत-आधारित राजनीति करने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। किसी भी पार्टी को सबसे पहले अपने कार्यकर्ताओं का ध्यान रखना चाहिए, वे कार्यकर्ता जो पार्टी और संगठन हित में 5 साल अपना सर्वस्व झोंक देते हैं….तन मन और धन से संगठन को सींचते हैं और चुनाव का वक्त जब आता है तो आप किसी मैथिली ठाकुर जैसी आयातित उम्मीदवार को सीधे विधायकी का टिकट दे देंगे तो ये सरासर अन्याय है। मैथिली ठाकुर का समाज के लिए योगदान ही क्या है? ये सवाल इसलिए अहम है कि मैथिली ठाकुर को सेलेब्रेटी बनाने में संपूर्ण मिथिलावासियों का अहम योगदान रहा है। लाखों की संख्या में मैथिल समाज के लोगों ने मैथिली ठाकुर के समर्थन में आज से कुछ साल पहले एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। माना की मैथिली ठाकुर के गले में मां सरस्वती का वास है लेकिन मां सरस्वती की पुत्री वे एक मात्र नहीं हैं। मैथिली ठाकुर के समानांतर कई ऐसे कलाकार हैं जो बहुत अच्छा गाते हैं।
हां तो जिस मैथिल समाज ने जी जान एक कर दिया कि मैथिली ठाकुर स्टार बन जाए उसको बदले में मैथिली ठाकुर ने क्या दिया? आज से कुछेक साल पहले की बात है जब मैथिली ठाकुर को मंच पर स्थान मिले इसके लिए उनके पिताजी लोगों से अनुनय विनय करते थे और जब मैथिली स्टार बन गई तो उनके पिताजी का एटीट्यूड ही बदल गया। ये बात सिर्फ मैं नहीं कहता हूं…आपको हजारों लोग इसकी गवाही दे सकते हैं। मैथिली ठाकुर और उनके पिता का व्यवहार इतना बदल जाएगा इस बात की किसी ने कल्पना तक नहीं की होगी। नतीजा क्या हुआ….मैथिली ठाकुर के बाद किसी भी नवोदित कलाकार के लिए मैथिल समाज ने वो प्रयास नहीं किया जो मैथिली के लिए किया गया। कई और नवोदित कलाकार टीवी चैनलों के मंच पर गए लेकिन मैथिली ठाकुर एपिसोड से चोट खाए मैथिल समाज ने दोबारा किसी पर भरोसा करना ही छोड़ दिया। मैथिली ठाकुर और उसके पिता के व्यवहार का खामियाजा अन्य नवोदित कलाकारों को भुगतना पड़ गया।
धन कमाना गलत बात नहीं है…हम सभी धनोपार्जन में लगे रहते हैं लेकिन कम से कम व्यवहार में तो मानवीयता रहनी चाहिए। विनम्रता बड़े लोगों का आभूषण होता है….लता मंगेशकर जी, शारदा सिन्हा जी उदाहरण हैं…इतने बड़े कलाकार लेकिन इनकी विनम्रता मिसाल है, प्रेरणादायक है। मैथिली ठाकुर बड़ा नाम हैं, लेकिन समाज के लिए इनका क्या योगदान है? अब ये मत कहिएगा कि मेरा क्या योगदान है….अपने कामकाज से जब कभी फुर्सत मिलती है तो सामाजिक कार्यों में गिलहरी के समान योगदान देने का काम करता हूं और आगे भी करता रहूंगा।
बंद कमरे में किसी भी पार्टी का आलाकमान अगर किसी उम्मीदवार को जबरन थोपने का प्रयास करती है तो ये सरासर गलत है। अलीनगर हो या कोई और विधानसभा सीट….हर पार्टी को चाहिए कि वो सबसे पहले स्थानीय उम्मीदवार को ही मौका दे। अलीनगर से अगर मैथिली ठाकुर को टिकट मिल भी जाता है और वे जीत भी जाती हैं तो क्या अपना काम कराने के लिए अलीनगर के लोग दिल्ली के द्वारका इलाके में आकर संपर्क स्थापित करेंगे? अगर भाजपा या कोई दल अपने कार्यकर्ताओं की फिक्र नहीं करेगी तो फिर कार्यकर्ता संगठन की फिक्र क्यों करेगा? भाजपा अगर इस तरह के फैसले बंद कमरे में करती है तो इससे नुकसान ही उठाना होगा….जन सुराज जैसे विकल्प इसलिए बिहार के लोगों को अच्छा लगता है….भाजपा हो या कांग्रेस…अगर अपने पुराने ढर्रे पर ही चलेगी तो फिर लोगों के पास भी नए विकल्प हैं और आपके कर्मठ कार्यकर्ता भी नए विकल्प को तलाशने के लिए मजबूर हो जाएंगे। विनोद तावड़े जी, आपने जो मैथिली ठाकुर के लिए पोस्ट लिखा था कि बिहार की बेटी फिर से बिहार वापस लौटना चाहती है तो ये कहिए की 5 साल बिहार लौट कर किसी विधानसभा क्षेत्र की धूल फांके….उस क्षेत्र में पसीना बहाए…..उसके बाद अगर आप उन्हें टिकट देते हैं अगले 5वें साल में तो ये स्वागत योग्य फैसला होगा। और हां…लोग पलायन इसलिए करते हैं ताकि उन्हें अच्छा अवसर मिल सके…मैथिली के परिवार ने पलायन नहीं किया होता तो वे आज शायद इस स्तर की गायिका कभी बन नहीं पाती…दिल्ली में अच्छे तरीके से स्थापित हो चुका मैथिली का परिवार अगर दिल्ली से बिहार पलायन करना चाहता है तो इसके पीछे भी स्वार्थ या अच्छा अवसर ही होगा। कोई बहुत बड़ा त्याग नहीं करने जा रही हैं बिहारियों के लिए मैथिली ठाकुर….
माल महाराज का और मिर्जा खेले होली ये नहीं होना चाहिए…संगठन के लिए पसीना बहाया कार्यकर्ताओं ने और विधायकी का टिकट दे देंगे एक सेलेब्रेटी को तो ये तो सरासर गलत है। जनता भी जागरुक है सर…ध्यान रखिएगा और आपके कार्यकर्ता भी।
#mithilapolitics #अलीनगर_विधानसभा @pankaj prasoon

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