सोमवार, 28 अक्टूबर 2013

मात्रिभाषाक महत्व:-

मात्रिभाषाक महत्व:-

कि अपने सब जनैत छी इ दैनीय जीवन में मात्रिभाषाक कतेक महत्व छैक....?

मात्रिभाषा अपन माएक भाषा थीक। इ माएक मुहं सऽ बाजल जाए वाला भाषा अछि। एकरा हमसब अपन माएक मुहं सऽ सीखैत छी। इ भाषा बहुत मीठ होइत अछि, इ बजिते जेना लगैत छैक जे मुहं सऽ मोध चुबि रहल अछि। बच्चाक जन्म लैत देरिक धीरे-धीरे ओ अपन माएक बात बुझि-समझ ओ बजबाक लेल कोशिश करैत छैक आ धीरे-धीरे बाजए लागति अछि। ओना आए-काइल बच्चाक माएक सब अपनैक बहुत काबिल बुझि बच्चाक मात्रिभाषा सिखेबाक सऽ बंचित रखैत छैथ जे कि कतेक गलत करैत छैथ आ ओ बुझैत छैथ यदि हमर बच्चा इ भाषा बाजए लागल आ यदि हम गाम जायब तऽ ओहि ठाम इ भाषा बाजत तऽ ओतिका लोकसब कि कहत....??? तैं अपन बच्चा सबकें जन्म लैत देरिक पति-पत्नि दुनु गोटे हिन्दी आ अलग-अलग भाषा में बजनाए शुरु करैत छथि जाहि कऽ कारण हुनकर बच्चा सबपर एहि कऽ प्रभाव पडति छैन आ ओ बच्चा अपन माएक भाषा सऽ बंचित रहि जाएत छथि।

मुदा जखन ओ बच्चा बडा होइत अछि, तऽ ओ अपन माए सऽ पुछति छैथ:-

"मम्मी हमलोगों का मदरलेग्वेंज क्या हैं?"

एहि प्रश्नक जवाब दैत छैथ:-

"बेटा हमलोगों का वैसे मैथिली हैं।"

फेर ओ पुछति अछि:-

"तो मम्मी मेरेको ये भाषा क्यो नहीं सिखायी क्योंकि मदरलेग्वेंज में एक अलग सा मिठास रह्ता है, जिसके कारण इसको बोलने में अच्छा लगता हैं।"

बच्चाक मम्मी कहैत छथि:-

"बेटा मैथिली भाषा का कोई महत्व नहीं और जिस भाषा का महत्व नही हो या जिस भाषा को बोलने से कोई लाभ ना हो, वह भाषा बोलकर और सीखकर क्या करोगे....????"

मुदा ओ छोडा के संतुष्टी नहीं मिलति छैक, फेर ओ पुछति अछि:-

"तो मम्मी इतने आदमी अपनी-अपनी मात्रिभाषा क्यो बोलते हैं?"

एहि पर जवाब दैत छथि:-

"लोगों की अपनी-अपनी सोच-समझ हैं, लेकिन ये भाषा बोलने से कुछ नही होने वाला हैं।"

मुदा ओहि "मम्मी" कऽ इ नहि बुझल छैन:-
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मुल...।
बिन निज भाषा ग्यान के, मिटे ना भ्रम को शुल..॥

इ भाषा एहेन अछि जाहि कऽ आधार पर कतेको राज्य अलग भए गेल, जेना कि मराठी सऽ महराष्ट्र, कन्नड सऽ कर्नाटक, गुजराती सऽ गुजरात, तमिल सऽ तमिलनाडु, पंजाबी सऽ पंजाब आरो बहुत रास भाषाक आधार पर राज्य विजाभित भऽ चुकल अछि आ हाले में एकटा औरो भेल जे अछि:- तेलगु सऽ तेलंगाना।

कहैय कऽ माने अछि मात्रिभाषाक एतेक महत्व अछि जाहि कऽ कारण केतेको राज्य विभाजित भेल। मुदा हमरा सबकें मैथिली बजबा मे कोन चीजक लाज अछि, कियैक नहि मैथिली बाजैत छी, आ कियैक बहुते लोकैन कऽ एहेन सोच अछि जाहि कऽ कारण हुनकर धिया-पुता एहि भाषा सऽ सौ कोस दुर रहति अछि........??????

अपनैक एहि सोचक चलते इ मिथिला सौ कोस दुर चलि रहल अछि, यौ एखन तऽ विनडोंज ८ कऽ जमाना छैक, कियैक अपने लाइनेक्स पर चलि रहल छी। अपन सोच कऽ ऊचं करु ने, तखने कोनो भी राज्य विकासक लेल अग्रसर होइत..........अपन मात्रिभाषा क नहि छोडि, इ तऽ शुद्ध आक्सीजन कऽ काम करैत अछि, एकरा कोना अपने बिसरि रहल छी....जुनि बिसरि नहि तऽ अपनैक पहचान मेट जाइत। एहि पहचान कऽ जिंदा राखु तखने अपनैक पहचान कयल जाइत नहि तऽ अपने कऽ कहल जाइत.........

"बाजु अपने कोन ठाम सऽ छी, टेल मी वेयर आर यु फ़रम....आ आदि-आदि"


शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013

कोजगराक गीत




कोजगराक गीत



आई कोजगरा धवल इजोरिया
चम-चम चमकै चान यौ
बाबु पान मखान बटै छैथ
माय करैया चुमान यौ ....

माँझ आँगन मे डाला राखल
तम्बा मे दुबि-धान यौ
पंडित काका दुर्वाक्षत लs
करै छैथ मंत्रक बखान यौ .....

चाँदीक थारी मे कौरी राखल
चमकैया मोतिक समान यौ
जीत हार के फैसलाक खातिर
भौजी सँ करै छी संग्राम यौ .....

पियर धोती पर दोपटा पाग
पहिर के होईया बड गुमान यौ
आई लगैया फेर मिथिला में
अवध सँ अयला श्री राम यौ

रचनाकार : दयाकान्त

सोमवार, 7 अक्टूबर 2013

विद्यापति स्मृति पर्व समारोह

विद्यापति स्मृति पर्व समारोह --


मनाओल गेल लाल बाग , लोनी , गाज़ियाबाद  में  

०१ अक्टूबर २०१३ क मिथिला सेवा समिति द्वारा विद्यापति पर्व समारोह खूब धूमधाम सँ लाल बाग लोनी ,गाज़ियाबाद में मनाओल गेल जाहि के मुख्य अतिथि छलाह श्री मान राज नाथ सिंह जी , भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष , मुदा अतिआवश्यक कार्य के कारण ओ कलकत्ता चलि गेल छलाह ,  ताहि कारने ओ उपस्थित नहिभ सकलाह किछु अतिथि राजनितिक गर्म माहौल के कारन सेहो उपस्थित नहि भ सकलाह सब कियो एकाएक व्यस्त भ गेल छलाह परन्तु श्री मान मनोज धामा जी- भाजपा , अध्यक्ष नगर पालिका परिषद्  लोनी ,गाज़ियाबाद अपन पूर्ण साम- दामक संग पधारि  ई समारोह में उपस्थित भेलाह आ अन्य आमंत्रित अतिथि सेहो संगहि दिल्लीक समस्त जानल - बुझल संस्था सँ जुड़ल पदाधिकारी एवं सदस्य लोकनि आमंत्रित छलाह , ओहि में सब संस्थाक अध्यक्ष व प्रतिनिधि लोकनि के मिथिला सेवा समिति द्वारा ख़ूब मोन सँ  यथा साध्य यथा संभव माला, पाग , चादर आ स्मृति चिन्ह दय सुस्वागत कयल गेलन्हि जाहि में मिथिलावासी सोसाइटी,डी. एल. एफ. अंकुर विहार, लोनी , गाजियाबाद  कें अध्यक्ष श्री सुभाष कुमार झा व संस्थापक - सह महासचिव श्री संजय कुमार झाक विचार - विमर्शक संग - संग अन्य सहयोग पुरजोर रहन्हि एहि  विद्यापति पर्व समारोहक अति विशिष्ट अतिथि छलाह डॉ श्री उमाकांत झा सेवा निवृत व्याख्याता मैथिली विभाग - एम. एल . एस .एम कॉलेज दरभंगा बहुत भाग्यक बात छल जे हमरा श्री मान रत्नेश्वर झा जीक द्वारा हुनक श्रोत भेटल नहि त ई मंच मैथिलिक विद्वान सँ सुशोभित नहि भ सकैत , श्री उमाकांत झा मंचक दीप प्रज्वलित कय मंच कें प्रकाशित आ गरिमामय  बनौलन्हि आ संग देलखिन्ह श्री मनोज धामा जी व अन्य आमंत्रित अतिथि हम श्री विजय झा जी कें बड्ड आभार व्यक्त करैत छियन्हि जे ओ डॉ श्री उमाकान्त झा जी के अपना संगे आनि आ ल जयबामे में हमर मदद केलन्हि , कारन डॉ उमा बाबू बयोब्रिद्ध भ चुकल छथि, श्री विजय जी जन जागृत मंच आ मिथिला राज्य निर्माण सेना सँ सेहो जुड़ल छथि डॉ उमाकान्त जी मैथिलीक चारि गोट पोथी  प्रकाशित छन्हि हुनक चर्चा हम पहिनहु स्व० डॉ सुभद्र झाक लिखल पोथी  नातिक पत्रक उत्तर में देख चुकल छि ,हुनक स्वभाव केरा पातक करवीर जकां सौम्य छनि, ई मंच हुनक स्नेह आ शुभाशीष सँ गद - गद भ गेल हुनक एकटा बात समस्त मैथिल जन कें ध्यान रखबायोग्य अछि जे मंचक अध्यक्ष कखनो मंच नहि छोरथि जाहि सँ मंचक हालात मज़बूत रहैत अछि आ दोसर एहन तरहक सम्मानित स्मृति पर्व समारोहक कार्यक्रम में जूता -चप्पल पहिर मंच पर चढ़नाई कठोर रूप सँ वर्जित हेबाक चाहि
 आब हम किछु चर्चा करय चाहब विद्यापतिजीक सम्बन्ध में –
   
विद्यापति पर्व समारोह प्रायः मैथिलक संस्था समुदाय के माध्यम सँ कातिक मासक मध्य आकि आस-पास मनाओल जाइत अछि कारण हुनक देहावसान के सम्बन्ध में एकटा पद एहि तरहे प्रचलित अछि -
विद्यापतिक आयु अवसान
कातिक धवल त्रयोद्सि जान।।
एहि पद के अनुसार विद्यापतिक देहावसान कातिक मासक त्रयोद्सि तिथि भेलनि एहि तिथि के लोक एखन धरि प्रमाणिक मानैत छथि ओहुना कातिक मास में  हिन्दू - शास्त्र के अनुसार गंगा सेवन कें बहुत महत्व अछि तैं हिनकर देहावसान गंगा तट पर भेलनि जखन गंगा- लाभ लेल गेल छलाह एहन सेहो मानल जाइत अछि जे विद्यापति जखन प्राणांत करबा लेल गंगा के लेल विदा भेलाह - दू कोष दूर जखन रहथि मोन में एहन जिज्ञासा भेलनि जे हम एतेक दूर गंगा स्नान लेल एयलहूँ कि गंगा दू - कोश हमरा लग नहि एतिह एक रात्रिक विश्रामक बाद लोक दृश्य देखक' अबाक रही गेल गंगा अपन धारा छोडि दू - कोश दूर विद्यापतिक समीप आबि गेल छलिह आजुक समय में सेहो गंगाक धार टेढ़ नजर अबैत अछि ओहि स्थानक नाम छई मऊ वाजिदपुर जे कि आब समस्तीपुर जिला में अछि (पाहिले दरभंगा जिला में छल )मानल जाइत अछि जे ओहिठाम हुनकर देहावसान भेलन्हि एहन मानल जाइत अछि जे हुनक समाधि स्थल पर शिव - मंदिर आई धरि विद्यमान अछि
विद्यापति जी के लेल एकटा विद्वानक विचार एहि तरहे अछि - ऐना देखलासँ   स्पष्ट अछि जे संसार में विद्यापतिक समान व्यापक दृष्टीयुक्त चिरंतन कवी बड्ड कम भय चुकल छथि हिनका युग -कवि कहव हिनक महत्ता घटायव थिक, हिनका देश कवि वा राष्ट्र कवि कहव हिनका टूटपुजिआं सँ कुचित  दृष्ट संपन्न दुग्गी - तिग्गी कविक पाँति में बैसाएब थीक - हिनका मैथिलीक कवि कहव वाँग- भाषी, खसकुरा-भाषी, उत्कल-भाषी, लोकनि सँ विद्यापति कें छिनव होयत जकर अधिकार ककरो नहि - जतबय मिथिला मैथिलीक कवि , ततबय भारतक नहि सम्पूर्ण विश्वक कवि रूप विष्णुक एक चिरंतन महावतार छथि
हम ओहि विद्वानक शव्द कें पुर्णतः यथोचित मानैत छी , कारण शास्त्रोगत अछि जे विष्णु शिव के भक्त शिव विष्णु कें तैं  मानवा में कतहु कोनोटा गुन्जाएश नहि बुझना जाइत अछि जे विद्यापति कवि रूप में विष्णुक महावतार नै छलाह प्रमाणिक तौर पर शंकर रुपी उगना कि आम व्यक्तिक सेवादार सकैछ ? तैं हमरा सब के आब इहो बुझि हुनक अराधना करबाक चाहि जे स्वयं विष्णु रामावतार कृष्णावतार के बाद पुनः विद्यापतिक महावतार लय मिथिलाकें संग - संग जगत के कवितामय वाणी सँ उद्धारक प्रेरक बनि कवि रूप विष्णुक एक चिरंतन महावतार   मिथिलाक उद्धारक मिथिला कें प्रकाशित कय गंगा के अपना नजदीक बजा, हमरा जनैत कहीं जल समाधि ने नेने होइथ  
एहन विचारोपरांत अगर देखल जाए विद्यापति विन कोनो महाकाव्यक रचना कएनहू विद्यापति गुरूक -गुरु , पंडितक -पंडित ,महाकवि में तेना महाकवि रहलाह अछि जेना वेद्हिमे में साम वेदादि कहि भगवान् अपनाकें विष्णुक व्यापकता प्रतिपादित कएने छथि

कतए विद्यापति कतए एखन के लोक , कि जानत हुनकर प्रभुताई - बस ओहिना जेना लिखने छथि
उपमा तोहर कहब ककरा हम , कहितहूँ  अधिक लजाई
यौ, विद्यापति कते अपनेक करब बड़ाई ।।
चलू आब करि समारोहक विषर्जन - आब अपने लोकनि देखैत छि सरस्वती पूजा , दुर्गा पूजा , काली पूजा , अन्य पूजा में मंदिर में पूजा बाहर जे कार्यक्रम होइत अछि ओहि में  नौटंकी , अश्लील - अश्लील संगीत ऐना बुझना जाइत अछि जे सांस्कृतिक कार्यक्रम नहि अपितु मनोरंजनक नाम पर किछु आर परसल जा रहल अछि ठीक ओहि प्रकारें विद्यापति समारोह जे मनाओल जाइत अछि ओहि में विद्यापतिक मुखौटा मात्र, किछु विशिष्ट नेता गणक स्वागत किछु स्थानिय वर्चस्वक लोकनिक स्वागत आर किछु ख़ास नहि ओहि सं संस्था संस्थागत सदस्य लोकनि कें किछु स्थानिय वा किछु दूर तक पहचान जरुर बनि जाइत छनि
हमर आग्रह जे विष्णु तुल्य विद्यापति के पर्व समारोह में मनोरंजन सं बेसी विद्यापतिक कृतिक गान , चर्चा, कवि साहित्यक नव चर्चा ,स्वर्गीय विद्वान जनक चर्चा, वर्तमान विद्वान सं आजुक नव जन मानस के परिचय , जाहि में हुनक ज्ञान , रचना, अनुभव, के सर्व प्रथम परसल जेबाक चाही मुदा दुर्भाग्यबस एहन तरहक विचारधारा कें अहूठाम कमी पाओल गेल अन्यत्र सेहो देखबा में अबैत अछि
ओना कुलमिलाक बहुत सुख शांतिक संग एही पर्वक कार्यक्रम सफल रहल बाबा विद्यापतिक जे कि हमरा नजरि में विष्णु तुल्य छथि, हुनक  अशिर्बाद सबकें प्राप्त भेलन्हि  अस्तु
संजय कुमार झा - नागदह
डी एल एफ अंकुर विहार
लोनी , गाजियाबाद      8010218022


     

शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2013

दहेज मुक्त मिथिला



      दहेज मुक्त मिथिला - मिथिलाके कर्मठ सेवक जे किछु करय लेल प्रतिबद्ध छथि - हिनका लोकनिक एक एहेन पहल थीक जाहिमें अपने लोकनि सदस्यता लैत एहि मूहिम के आगू बढबैत मिथिलाके हरेक गाम सऽ लऽ के संपूर्ण विश्व भरि मैथिल के प्रत्येक वासस्थल तक एकर प्रभाव पहुँचैक आ मिथिला दहेज मुक्त बनैक - से एकजूट प्रयास करी।

दहेज के स्वच्छ स्वरूप जे स्वेच्छा सँ बेटीके माय-बाप-अभिभावक बेटीके विवाहके अवसर पर अपन बेटी-जमाय-सासूरके परिवार लेल दैत छैक - मुदा आजुक एहि युगमें दहेज माँगरूपी दानव बनल अछि आ समग्र मिथिलाके विकासके प्रमुख अवरोधक बनल अछि... एकरा सऽ मुक्ति पबैक लेल स्वस्फूर्त जागृतिके आवश्यकताके सभ गोटे बूझी।

दहेज मुक्त मिथिला नहि सिर्फ फेशबुक के पेज पर बल्कि यथार्थमें कार्यरत एक एहेन सामूहिक मूहिम थीक जाहिमें अपनेक व्यक्तिगत सहयोग के परम आवश्यकता छैक। इ संस्था मुख्यतः सदस्य द्वारा आपसमें जमा कैल कोष सँ केवल कार्यक्रमके आयोजन करैत अछि, आ एहि संस्थाके कोनो एहेन इच्छा नहि छैक जे चन्दाके धन्धा करय वा किनको ऊपर जबरदस्ती कोनो अपन विचार के थोपय। स्वेच्छा सँ जुड़निहार प्रति इ संस्था आभारी रहत।

एहि संस्थाके प्रथम स्लोगन निम्न प्रकार अछि:

यौ मैथिल बंधुगण! आउ सभ मिलि एहि मंच पर चर्चा करी जे इ महाजाल सँ मिथिला कोना मुक्त होयत! जागु मैथिल जागु..!!

अपन विचार - विमर्श एहि जालवृत पर प्रकट करू! संगे हम सभ मैथिल नवयुवक आ नवयुवती सँ अनुरोध करब, जे अहीं सबहक प्रयास एहि आन्दोलन के सफलता प्रदान करत! ताही लेल अपने सभ सबसँ आगा आओ आ अपन - अपन विचार - विमर्श एहि जालवृत पर राखू....

एक बेर एहि जालवृत पर जरुर पधारी...

दहेज़ मुक्त मिथिला...
Website:

www.dahejmuktmithila.org 

जय मैथिली, जय मिथिला!!

नव सदस्य जे एहिठाम जुड़य लेल इच्छूक होइ - अपन पूरा पता, फोन नंबर आ दहेज मुक्त मिथिलामें जुड़य लेल उद्देश्य एहि तिनू बात के जानकारी कराबी, बिना एहि तीन बात के जानकारी के अहाँके एहिठाम नहि जोड़ल जायत। जय जय!