dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

रविवार, 1 जनवरी 2012

गजल


नबका बर्खक नब उमंग सगरो छै।
खुशी जतबा ओम्हर ओतबा एम्हरो छै।

बर्ख-बर्ख सँ दुख सँ छौंकल सब आत्मा,
हेतै तृप्त जरूर, इ उमेद हमरो छै।

नब बर्ख बनै प्रेम-नाव दुख-धार मे,
सब प्रेम करू, बिसरू कोनो झगडो छै।

बन्न करियौ नै उत्सव ऊँच अटारी मे,
असंख्य भूखल आँखि, सिहन्ता ओकरो छै।

असल आजादी भेंटै, यैह "ओम"क दुआ,
बिला जाइ भ्रष्ट आचरण जे ककरो छै।
--------------- वर्ण १५ -------------

कोई टिप्पणी नहीं: